फिर आया ला नीना: होगी बारिश या पड़ेगा सूखा?
**ला नीना की वापसी**
वाशिंगटन। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार ला नीना की वापसी हो गई है। राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) ने इसकी घोषणा की। वैज्ञानिकों का कहना है कि ला नीना के कारण दुनिया के कुछ हिस्सों में सूखा पड़ सकता है, जबकि अन्य हिस्सों में भारी बारिश हो सकती है।
**ला नीना क्या है?**
ला नीना एक जलवायु घटना है, जिसमें पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर का पानी ठंडा हो जाता है। यह घटना समुद्र की सतह के तापमान और हवाओं के बदलाव से उत्पन्न होती है। आमतौर पर यह घटना लगभग 15.4 महीने तक रहती है और मौसम के पैटर्न को बदलने में सक्षम होती है।
**वैज्ञानिकों को था लंबे समय से इंतजार**
2024 के जून में अलनीनो के समाप्त होने की घोषणा के बाद से वैज्ञानिक ला नीना की प्रतीक्षा कर रहे थे। एनओएए के अनुसार, फरवरी से अप्रैल तक इसके बने रहने की 59% संभावना है।
**भारत पर ला नीना का प्रभाव**
ला नीना का असर भारतीय मानसून पर भी पड़ता है। यह घटना सर्दियों के मौसम को सामान्य से ठंडा बना सकती है। आमतौर पर इसके दौरान सर्दियों में सामान्य से कम तापमान देखने को मिलता है।
भारत में बारिश की संभावना भी बढ़ सकती है, लेकिन इसका असर क्षेत्रीय होता है। यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में तीव्र बारिश के जोखिम को बढ़ा सकता है।
**वैश्विक प्रभाव**
- यूरोप: उत्तरी यूरोप में शीतकालीन तूफान कम होंगे, जबकि दक्षिणी और पश्चिमी यूरोप में अधिक सर्दी पड़ेगी।
- अमेरिका: कैरिबियन और मध्य अटलांटिक क्षेत्रों में तूफान और हरिकेन की घटनाओं में वृद्धि होगी।
- भूमध्यसागरीय क्षेत्र: यहां बर्फबारी की संभावना बढ़ जाएगी।
- ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशिया: तीव्र बारिश और बाढ़ का खतरा बढ़ेगा।
**देरी का कारण**
एनओएए वैज्ञानिक मिशेल एल यूरेक्स के अनुसार, इस बार ला नीना की वापसी में देरी का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। उन्होंने संभावना जताई कि महासागरों का अत्यधिक गर्म होना इसकी वजह हो सकता है।
