ओल्ड पेंशन स्कीम: कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी घमासान
कांग्रेस शासित राज्यों में लागू ओपीएस का बढ़ता प्रभाव
कांग्रेस शासित राज्यों में लागू की गई ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) का असर अब भाजपा शासित राज्यों में भी दिखने लगा है। 2023 में होने वाले कई राज्यों के चुनावों में यह एक प्रमुख मुद्दा बन गया है।
राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, और झारखंड जैसे राज्यों में कांग्रेस ने ओपीएस को लागू कर कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। अब भाजपा भी इसे लेकर मंथन कर रही है।
कर्नाटक सरकार करेगी अध्ययन
कर्नाटक सरकार ने इस मुद्दे पर विचार करने के लिए एक टीम राजस्थान सहित अन्य राज्यों में भेजने का निर्णय लिया है। टीम का नेतृत्व अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) आईएसएन प्रसाद करेंगे। यह टीम राजस्थान के अधिकारियों से ओपीएस के प्रभाव और कार्यान्वयन पर चर्चा करेगी।
राजस्थान में ओपीएस के तहत करीब 10 लाख सरकारी कर्मचारी आते हैं, जिनके परिवारजनों को मिलाकर यह संख्या 50 लाख से अधिक हो जाती है।
ओपीएस का राजनीतिक महत्व
राजस्थान में ओपीएस का मुद्दा राजनीतिक दलों के लिए अहम बन गया है। यदि कर्नाटक में भाजपा सरकार इसे लागू करती है, तो राजस्थान में भाजपा पर भी दबाव बनेगा। इससे भाजपा को ओपीएस पर अपना स्पष्ट रुख जनता के सामने रखना होगा।
भाजपा ने अभी तक ओपीएस के मुद्दे पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है। हालांकि, कांग्रेस इसे अपनी उपलब्धि के रूप में जनता के सामने प्रस्तुत कर रही है।
राजस्थान भाजपा की चुप्पी
कर्नाटक में भाजपा संगठन स्तर पर इस मुद्दे पर चर्चा हुई है, जिसके बाद वहां से अधिकारियों का राजस्थान दौरा तय हुआ। हालांकि, राजस्थान भाजपा ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
कांग्रेस का दावा
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई बार कहा है कि भाजपा शासित राज्यों और केंद्र सरकार को भी अंततः ओपीएस लागू करना पड़ेगा। कांग्रेस इसे अपनी उपलब्धि मानते हुए भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है।