बेसिक शिक्षा अधिकारी का खाता किया कुर्क: दस हजार शिक्षकों का वेतन प्रभावित
प्रणाम शिक्षा क्यों न हो, इसका हो मातृभाषा होनी चाहिए। यह विचार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के थे, जो शिक्षा के महत्व को बताते हुए आज भी हमें प्रेरित करते हैं। हालांकि, आज शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण घटना घटी है, जो न केवल सरकारी कर्मचारियों, बल्कि शिक्षा विभाग से जुड़े कई व्यक्तियों के लिए चिंता का विषय बन गई है।
क्या है मामला?
दैनिक पंचांग के अनुसार, 9 जनवरी 2025 को, अतिरिक्त सिविल जज (सी डि) की अदालत ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का ट्रेजरी हेड संख्या 2202 को कुर्क कर दिया। अदालत का आदेश था कि जब तक पीड़ित शिक्षकों का बकाया भुगतान नहीं किया जाएगा, तब तक यह खाता कुर्क रहेगा।
शिक्षकों के वेतन पर संकट
कोर्ट के सख्त आदेश के बाद, जिले भर के दस हजार से अधिक शिक्षकों एवं कर्मियों के वेतन पर संकट छा गया है। दिसंबर 2024 का वेतन किसी भी शिक्षक को जारी नहीं किया जा सका। इससे शिक्षक वर्ग में असंतोष और चिंता का माहौल पैदा हो गया है, क्योंकि वेतन में देरी से उनके दैनिक जीवन में आर्थिक संकट उत्पन्न हो रहा है।
विवाद का इतिहास
यह विवाद 1985 से चला आ रहा है। दौलतपुर स्थित एक शासकीय सहायता प्राप्त स्कूल के चार शिक्षकों ने मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें 12 लाख रुपये के बकाया भुगतान की मांग की गई थी। अदालत ने आदेश दिया था कि बकाया राशि का भुगतान किया जाए, लेकिन विभिन्न कारणों से यह भुगतान अब तक नहीं हो सका है।
कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ
आदेश के बावजूद, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के कई बदलावों के कारण बकाया भुगतान अटका रहा। शिक्षकों ने बार-बार अदालत से न्याय की गुहार लगाई, और 2023 में फिर से अदालत से आदेश का पालन कराने की मांग की। हालांकि, विभागीय अधिकारी मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे थे, और अंततः अदालत ने खाता कुर्क करने का आदेश दिया।
अगली सुनवाई
अगली सुनवाई 16 जनवरी 2025 को होगी, जहां इस मामले पर अदालत में अपना पक्ष रखा जाएगा। इस मामले में, वित्त एवं लेखाधिकारी, बेसिक शिक्षा विभाग मारकंडेय लाल ने बताया कि “बजट मिलते ही भुगतान संभव होगा, लेकिन तब तक यह मामला लंबित रहेगा।”
संगीन परिणाम
इस निर्णय के परिणामस्वरूप, जिले भर के शिक्षकों का वेतन प्रभावित हो रहा है, जिससे उनके परिवारों पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है। बहुत से शिक्षक दिसंबर माह का वेतन न मिलने के कारण बेहद परेशान हैं और उनके सामने आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है। इस मामले का जल्द निवारण न होने पर, और भी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
निष्कर्ष
बेसिक शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के वेतन में देरी और बकाया भुगतान को लेकर विवादों का बढ़ना एक गंभीर मुद्दा है, जो न केवल शिक्षकों के लिए बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था के लिए चिंता का कारण बन सकता है। इस मामले का जल्द समाधान होना आवश्यक है ताकि शिक्षकों को उनका उचित वेतन मिल सके और वे अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभा सकें।