गिफ्ट डीड: माता-पिता की सेवा ही दिलाएगी संपत्ति
लेखिका: , आर्थिक सलाहकार
माता-पिता की सेवा न करने पर बड़ी कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि यदि कोई संतान माता-पिता की संपत्ति या गिफ्ट लेने के बाद उनकी सेवा नहीं करती, तो उन्हें संपत्ति या गिफ्ट वापस लौटाने होंगे। यह फैसला बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा।
अब यदि बच्चे माता-पिता को उनके हाल पर छोड़ देते हैं, तो यह उनके लिए महंगा सौदा साबित हो सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि माता-पिता का भरण-पोषण हर हाल में करना होगा।
क्या है गिफ्ट डीड?
गिफ्ट डीड एक कानूनी दस्तावेज है, जिसके माध्यम से संपत्ति का मालिकाना हक एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को बिना किसी आर्थिक लेन-देन के हस्तांतरित किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, गिफ्ट डीड में एक शर्त जोड़ी जाएगी कि बच्चे माता-पिता का ख्याल रखेंगे। यदि शर्तों का पालन नहीं किया गया, तो संपत्ति का ट्रांसफर शून्य घोषित कर दिया जाएगा।
फैसले की वजह और उदाहरण
मध्यप्रदेश की उर्मिला दीक्षित ने बेटे को इस शर्त पर संपत्ति गिफ्ट में दी थी कि वह उनकी सेवा करेगा। लेकिन बेटे द्वारा उपेक्षा और दुर्व्यवहार के बाद, उन्होंने ट्रिब्यूनल में गिफ्ट डीड रद्द करने का मामला दर्ज किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए संपत्ति का ट्रांसफर रद्द कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि संपत्ति ट्रांसफर की शर्त का उल्लंघन करना धोखाधड़ी के अंतर्गत माना जाएगा।
बुजुर्गों के लिए उम्मीद की किरण
यह फैसला उन बुजुर्गों के लिए राहत लेकर आया है, जो अपनी संपत्ति बच्चों को देकर अकेलेपन और दुर्व्यवहार का सामना करते हैं। इससे बच्चों में माता-पिता की सेवा और देखभाल की जिम्मेदारी का एहसास बढ़ेगा।
सुरक्षित बुढ़ापे के लिए सावधानियां
विशेषज्ञों का सुझाव है कि बुजुर्ग अपनी संपत्ति का 100% ट्रांसफर न करें।
उद्योगपति विजयपत सिंघानिया का उदाहरण इसका स्पष्ट उदाहरण है, जिन्होंने अपनी 37.17% हिस्सेदारी बेटे गौतम सिंघानिया को दी, लेकिन बाद में उन्हें घर से बेदखल कर दिया गया।