मध्यमवर्गीय लोगों की कमर टूट रही है: निजी स्कूलों की मनमानी और सरकारी स्कूलों की बदहाली

मध्यमवर्गीय लोगों की कमर टूट रही है: निजी स्कूलों की मनमानी और सरकारी स्कूलों की बदहाली

मध्यमवर्गीय लोगों की कमर टूट रही है क्योंकि निजी स्कूलों की मनमानी और सरकारी स्कूलों की बदहाली ने उन्हें परेशान कर रखा है।

निजी स्कूलों की मनमानी

निजी स्कूलों में फीस वृद्धि की कोई सीमा नहीं है। अभिभावकों को विशेष दुकानदारों से पाठ्यपुस्तके व यूनीफार्म खरीदने को विवश किया जाता है। यूनीफार्म बदलकर भी उनकी जेब काटी जाती है।

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सरकारी स्कूलों की बदहाली

सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी और संसाधनों का अभाव है। बच्चों को टाट पर बैठकर पढ़ना पड़ता है। शिक्षकों के समायोजन का मामला न्यायालय में लंबित है।

अभिभावकों की परेशानी

अभिभावकों को अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए परेशान होना पड़ता है। उन्हें निजी स्कूलों की मनमानी और सरकारी स्कूलों की बदहाली के बीच से गुजरना पड़ता है।

समाधान की तलाश

इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सरकार और शिक्षा विभाग को मिलकर काम करना होगा। निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगानी होगी और सरकारी स्कूलों की बदहाली को दूर करना होगा।

बेसिक शिक्षा अधिकारी का बयान

बेसिक शिक्षा अधिकारी मोनिका ने बताया कि बेसिक स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था एक बार फिर तेजी से सुधर रही है। शिक्षकों के समायोजन का मामला न्यायालय में लंबित है, वहां से फैसला आते ही इसमें भी सुधार होगा।

डीआईओएस का बयान

डीआईओएस वीपी सिंह का कहना है कि कान्वेंट स्कूलों में मनमानी फीस, यूनीफार्म व पाठ्यक्रम को दुकान विशेष पर खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर करना पूरी तरह से गैरकानूनी है।

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