जनवरी से महंगी हो सकती है डीएपी, किसानों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
रिपोर्ट: विशेषज्ञ टीम
क्या है डीएपी की मौजूदा स्थिति?
केंद्र सरकार डीएपी पर ₹3500 प्रति टन की दर से विशेष सब्सिडी देती है। लेकिन यह सब्सिडी 31 दिसंबर को खत्म हो रही है। इसके अलावा, डीएपी बनाने में इस्तेमाल होने वाले फास्फोरिक एसिड और अमोनिया की कीमतों में 70 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है, जिसका असर सीधा इसकी कीमतों पर पड़ रहा है।
एनबीएस योजना: डीएपी की कीमतों पर प्रभाव
फास्फेट और पोटाश युक्त (पीएंडके) उर्वरकों के लिए एनबीएस (पोषक तत्व आधारित सब्सिडी) योजना अप्रैल 2010 से लागू है। इस योजना के तहत, केंद्र सरकार उर्वरक निर्माता कंपनियों को सब्सिडी प्रदान करती है ताकि वे उत्पादन और आयात जारी रख सकें।
इसके अतिरिक्त, किसानों को डीएपी पर एनबीएस के अलावा विशेष अनुदान दिया जाता है। हालांकि, अगर इस अनुदान की अवधि 31 दिसंबर के बाद नहीं बढ़ाई गई, तो जनवरी से डीएपी महंगी हो जाएगी।
खरीफ और रबी मौसम के लिए सब्सिडी
इस वर्ष खरीफ मौसम के दौरान डीएपी पर सब्सिडी ₹21,676 प्रति टन थी, जिसे रबी मौसम के लिए बढ़ाकर ₹21,911 प्रति टन कर दिया गया। यह वृद्धि किसानों को राहत देने के लिए की गई थी।
किसानों पर संभावित प्रभाव
अगर डीएपी की कीमतें बढ़ती हैं, तो यह किसानों की खेती की लागत को बढ़ा सकता है। डीएपी का उपयोग मुख्य रूप से फसल की वृद्धि और उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया जाता है। कीमतों में वृद्धि के कारण छोटे और मध्यम किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।
इस स्थिति में, सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह सब्सिडी की अवधि का विस्तार करेगी ताकि किसानों को राहत मिल सके।