आईवीएफ जहां हुआ फेल, आयुर्वेद ने भर दी महिलाओं की गोद

आईवीएफ जहां हुआ फेल, आयुर्वेद ने भर दी महिलाओं की गोद

लेखक: सुशील सिंह

बांझपन और गर्भधारण से जुड़ी समस्याओं का समाधान अब आयुर्वेद से संभव हो गया है। जहां आईवीएफ (IVF) और एलोपैथी जैसे महंगे उपचार असफल हो जाते हैं, वहीं आयुर्वेद की उत्तर बस्ती पद्धति ने कई महिलाओं को मां बनने का सुख दिया है। यह उपचार लखनऊ के राजकीय आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विभाग में सफलता पूर्वक किया जा रहा है।

उत्तर बस्ती पद्धति: आयुर्वेद की चमत्कारी विधि

आयुर्वेद की उत्तर बस्ती विधि बांझपन और माहवारी से जुड़ी समस्याओं का प्रभावी उपचार है। इस प्रक्रिया में औषधीय तेल और हर्बल काढ़े का उपयोग किया जाता है। यह न केवल बंद फैलोपियन ट्यूब को खोलता है बल्कि कमजोर कोख को भी मजबूत बनाता है, जिससे गर्भधारण में मदद मिलती है।

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कैसे काम करती है यह विधि?

राजकीय आयुर्वेद कॉलेज की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. शशि शर्मा के अनुसार, इस विधि में पहले तीन महीने तक खाने की दवाएं दी जाती हैं। इसके बाद, माहवारी के आठवें दिन से विशेष औषधीय तेल का उपयोग शुरू किया जाता है। यह प्रक्रिया 6 महीने से 1 साल तक चलती है।

सफलता की कहानियां

केस 1: शालिनी की कहानी

30 वर्षीय शालिनी शादी के पांच साल बाद भी मां नहीं बन पाई थीं। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी कोख कमजोर है। आईवीएफ भी असफल रहा। आखिरकार, उन्होंने आयुर्वेदिक उपचार शुरू किया और एक साल बाद उन्होंने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।

केस 2: शाहीन की कहानी

28 वर्षीय शाहीन की फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक थी, जिसके कारण वह गर्भधारण नहीं कर पा रही थीं। आयुर्वेद कॉलेज में छह महीने के उपचार के बाद बिना ऑपरेशन उनकी ट्यूब खुल गई और वह स्वस्थ गर्भधारण करने में सफल रहीं।

योग और खानपान की भूमिका

डॉ. शर्मा ने बताया कि आयुर्वेदिक उपचार के साथ योग और संतुलित खानपान का भी विशेष महत्व है। महिलाओं को उपचार के दौरान नियमित रूप से योगाभ्यास कराया जाता है, जिससे शरीर को प्राकृतिक रूप से संतुलित किया जा सके।

उपचार का खर्च और समय

इस आयुर्वेदिक उपचार का खर्च ₹50,000 से ₹1,00,000 तक होता है और यह प्रक्रिया आमतौर पर 6 महीने से 1 साल तक चलती है। यह उन महिलाओं के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो आईवीएफ और अन्य एलोपैथिक उपचारों से निराश हो चुकी हैं।

आयुर्वेद की उत्तर बस्ती पद्धति ने यह साबित कर दिया है कि प्राकृतिक उपचार के माध्यम से भी बांझपन और अन्य जटिल समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। यह विधि न केवल सुरक्षित है, बल्कि महिलाओं को मातृत्व का अनमोल सुख भी देती है।

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