आरटीई में 41 जिलों में आए एक हजार से कम आवेदन, मांगा जवाब




शिक्षा का अधिकार अधिनियम: निजी स्कूलों में दाखिले की स्थिति

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई): निजी स्कूलों में दाखिले की स्थिति

गरीब परिवारों के बच्चों के दाखिले के लिए कम आवेदन प्राप्त होने पर संबंधित जिलों से जवाब तलब।

आरटीई के तहत दाखिले की प्रक्रिया

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत प्री-प्राइमरी और कक्षा एक में गरीब बच्चों के दाखिले के लिए आवेदन प्रक्रिया जारी है। पहले चरण में:

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  • कुल 1,32,446 आवेदन प्राप्त हुए।
  • इनमें से 1,02,058 आवेदन सही पाए गए।
  • लॉटरी के माध्यम से 71,381 बच्चों को सीटें आवंटित की गईं।

कम आवेदन वाले जिले

पहले चरण में 41 जिलों में एक हजार से कम आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 24 जिलों में 500 से भी कम आवेदन आए।

  • कन्नौज: मात्र 57 आवेदन।
  • अन्य जिलों में भी आवेदन संख्या चिंताजनक रूप से कम है।

कार्रवाई और निर्देश

कम आवेदन प्राप्त होने के कारण संबंधित जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) से जवाब मांगा गया है।

“हेल्प डेस्क बनाकर अभिभावकों को आवेदन भरवाने में मदद करने और व्यापक प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए गए थे। फिर भी कम आवेदन प्राप्त हुए हैं।”

– डॉ. मुकेश कुमार सिंह, उप शिक्षा निदेशक (समग्र शिक्षा)

दूसरे चरण की प्रक्रिया 1 जनवरी से शुरू होगी।

समस्याओं का विश्लेषण

कम आवेदन प्राप्त होने के संभावित कारण:

  • आरटीई के प्रावधानों और लाभों की जानकारी का अभाव।
  • ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में जागरूकता की कमी।
  • आवेदन प्रक्रिया में तकनीकी या प्रशासनिक बाधाएं।

समाधान और सुझाव

  • अभिभावकों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाना।
  • हेल्प डेस्क को प्रभावी बनाकर आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाना।
  • ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में आरटीई के प्रचार-प्रसार को प्राथमिकता देना।
  • स्थानीय अधिकारियों को जिम्मेदारी देकर निगरानी बढ़ाना।
निष्कर्ष: आरटीई के तहत निजी स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए जागरूकता और प्रशासनिक सुधार आवश्यक हैं।

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