शिक्षा के अधिकार अधिनियम और विद्यालयों की स्थिति
छात्र-शिक्षक अनुपात में विसंगतियां और प्राथमिक शिक्षा की चुनौतियां।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम (2009)
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात क्रमशः 30:1 और 35:1 तय किया गया है। लेकिन इटावा जिले के कई विद्यालय इस मानक पर खरे नहीं उतरते।
मड़ैया बहपुरा प्राथमिक विद्यालय की स्थिति
इटावा जिले के बीहड़ क्षेत्र में स्थित मड़ैया बहपुरा प्राथमिक विद्यालय में केवल तीन छात्र हैं, जबकि पढ़ाने के लिए दो शिक्षक और एक शिक्षामित्र तैनात हैं। गांव में पलायन के कारण बच्चों की संख्या में भारी गिरावट आई है।
- गांव में केवल 8 परिवार शेष हैं।
- विद्यालय में 2014 में 28 छात्र थे, जो अब घटकर मात्र तीन रह गए हैं।
- शिक्षक कठिन परिस्थितियों के बावजूद नियमित रूप से विद्यालय पहुंचते हैं।
अन्य विद्यालयों की स्थिति
इटावा के अन्य विद्यालयों में भी छात्र-शिक्षक अनुपात में असमानता देखी जा रही है।
- नगला बैरी: एक बच्चे को पढ़ाने के लिए दो अध्यापक।
- नगला गंगादीन: दो बच्चों को पढ़ाने के लिए दो अध्यापक।
- राघवपुर: तीन बच्चों के लिए एक प्रधानाध्यापक, एक अध्यापक और एक शिक्षामित्र।
- प्रतापपुरा: आठ बच्चों पर चार अध्यापक और एक शिक्षामित्र।
जिले के 37 प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या इकाई में है।
शिक्षकों की समस्याएं और समाधान
शिक्षकों की तैनाती में असमानता के कारण कई विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या अधिक है, जबकि कुछ विद्यालयों में मानक से भी कम शिक्षक हैं।
“शिक्षकों का समायोजन और स्थानांतरण लंबे समय से लंबित है। ऐसी विसंगतियां दूर करने के लिए शासन और बेसिक शिक्षा परिषद का मार्गदर्शन आवश्यक है।”
– डॉ. राजेश कुमार, बीएसए
समस्याओं का समाधान
- छात्र-शिक्षक अनुपात को संतुलित करने के लिए शिक्षकों का समायोजन।
- पलायन रोकने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विकास।
- शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष अभियान।
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