सिपाही भर्ती पेपर लीक मामले में एजूटेस्ट सॉल्यूशंस के संचालक विनीत आर्या से ईडी की पूछताछ




सिपाही भर्ती पेपर लीक: ईडी की जांच में एजूटेस्ट सॉल्यूशंस

सिपाही भर्ती पेपर लीक मामले में ईडी की जांच तेज

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सिपाही सीधी भर्ती के पेपर लीक मामले में गुजरात की एजूटेस्ट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संचालक विनीत आर्या से
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को करीब 8 घंटे तक पूछताछ की। पूछताछ के दौरान विनीत कई सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे सके और
कंपनी पर लगे लापरवाही के आरोपों को खारिज कर दिया। ईडी ने उन्हें जनवरी के दूसरे सप्ताह में दोबारा बुलाने की योजना बनाई है।

पेपर लीक मामले की पृष्ठभूमि

फरवरी 2023 में सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद ईडी ने केस दर्ज कर जांच शुरू की।
एसटीएफ द्वारा भी इस मामले में गहन जांच की गई, जिसमें एजूटेस्ट सॉल्यूशंस की लापरवाही सामने आई।
एसटीएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने अहमदाबाद स्थित टीसीआई एक्सप्रेस ट्रांसपोर्ट के वेयरहाउस में पेपर बॉक्स रखवाए थे,
जहां से पेपर चोरी कर फोटो खींचे गए और लाखों रुपये में बेच दिए गए।

ईडी की पूछताछ में विनीत आर्या

मंगलवार को ईडी के सामने पेश हुए विनीत आर्या से पेपर लीक के कारणों और सुरक्षा व्यवस्था में खामियों पर सवाल पूछे गए।
उन्होंने गोलमोल जवाब दिए और पेपर बॉक्स की सुरक्षा में कमी की जिम्मेदारी उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड पर डाल दी।
ईडी अब बोर्ड से टेंडर दस्तावेज लेने के बाद अगले दौर की पूछताछ की तैयारी कर रही है।

एसटीएफ की जांच में लापरवाही उजागर

एसटीएफ की जांच में यह सामने आया कि एजूटेस्ट सॉल्यूशंस ने पेपर बॉक्स की सुरक्षा को लेकर पुख्ता प्रबंध नहीं किए।
पेपर लीक के बाद इसे मध्य प्रदेश और हरियाणा के रिसॉर्ट में अभ्यर्थियों को लाखों रुपये लेकर पढ़ाया गया।
एसटीएफ ने इस लापरवाही को एजूटेस्ट की जिम्मेदारी बताया है और कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रही है।

आगे की जांच

ईडी ने भर्ती बोर्ड से टेंडर शर्तों की जानकारी जुटाने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।
आगामी पूछताछ में एजूटेस्ट के संचालक से सुरक्षा खामियों और टेंडर के नियमों पर सवाल किए जाएंगे।
साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

नोट: यह मामला न केवल शैक्षिक परीक्षाओं की सुरक्षा में लापरवाही को दर्शाता है,
बल्कि प्रशासनिक तंत्र की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाता है। जांच के निष्कर्ष आने के बाद ही
दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की उम्मीद की जा सकती है।

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