डॉ. मनमोहन सिंह: एक महान अर्थशास्त्री और नेता
डॉ. मनमोहन सिंह (1932–2024) की जीवन यात्रा और उनके योगदान को याद करते हुए।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के वर्तमान गाह में जन्मे डॉ. मनमोहन सिंह का पालन-पोषण एक साधारण परिवार में हुआ। उनकी बुद्धिमत्ता ने उन्हें पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से एडम स्मिथ पुरस्कार दिलाया। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डीफिल की उपाधि प्राप्त की।
शैक्षणिक और पेशेवर करियर
डॉ. सिंह ने अपने करियर की शुरुआत पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में की। बाद में उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाया। 1971 में, वे भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार बने और कई प्रमुख पदों पर कार्य किया:
- वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972)
- भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर (1982–1985)
- योजना आयोग के उपाध्यक्ष (1985–1987)
राजनीतिक योगदान
आर्थिक उदारीकरण के जनक
डॉ. सिंह ने 1991 में वित्त मंत्री के रूप में पी.वी. नरसिंहराव सरकार में भारतीय अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार किया। उन्होंने लाइसेंस राज को समाप्त कर वैश्विक बाजारों के लिए भारत के द्वार खोले और निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन दिया।
भारत के प्रधानमंत्री
डॉ. सिंह ने 22 मई 2004 को भारत के 13वें प्रधानमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया। उनके कार्यकाल में कई ऐतिहासिक पहल हुईं:
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का कार्यान्वयन
- वैश्विक आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करना
- पड़ोसी देशों के साथ बेहतर संबंध स्थापित करना
वे 2009 में पुनः प्रधानमंत्री बने और लगातार दो बार सफलतापूर्वक कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी नेता बने।
चुनौतियाँ और विवाद
2जी स्पेक्ट्रम घोटाला
2जी स्पेक्ट्रम घोटाला स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक था। इसने उनकी सरकार की छवि को धूमिल किया और तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा को इस्तीफा देना पड़ा।
कोयला आवंटन घोटाला
डॉ. सिंह के कार्यकाल में कोयला आवंटन घोटाला सामने आया, जिसमें बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगा। इसने पारदर्शिता पर सवाल उठाए, लेकिन उनकी व्यक्तिगत ईमानदारी पर कोई संदेह नहीं हुआ।
उपलब्धियाँ और सम्मान
- पद्म विभूषण (1987)
- सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कार (2002)
- जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार (1995)
डॉ. सिंह ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया और अपनी अद्वितीय नेतृत्व क्षमता से देश को सशक्त बनाया।
डॉ. मनमोहन सिंह की विरासत
डॉ. मनमोहन सिंह की सरलता, बुद्धिमत्ता और दृढ़ता का हर कोई प्रशंसक था। उन्होंने हर आलोचना का सामना करते हुए देश की प्रगति के लिए काम किया। 26 दिसंबर 2024 को नई दिल्ली के एम्स में उनका निधन हो गया। उनके योगदान को सदैव याद किया जाएगा।
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