पुराने वाहनों की बिक्री पर जीएसटी: विक्रेता को मार्जिन पर देना होगा टैक्स
नई दिल्ली: पंजीकृत इकाइयों को पुराने वाहन की बिक्री पर जीएसटी केवल तब देना होगा जब विक्रेता को मार्जिन यानी लाभ हो। यह मार्जिन, बिक्री मूल्य और वाहन के मूल्यह्रास समायोजित लागत मूल्य के बीच का अंतर होता है। इस बारे में जानकारी एक जानकार ने मंगलवार को दी।
जीएसटी परिषद का निर्णय
पिछले सप्ताह, जीएसटी परिषद ने अपनी बैठक में यह निर्णय लिया कि सभी पुराने वाहनों की बिक्री, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहन भी शामिल हैं, पर एकल 18 प्रतिशत जीएसटी दर लागू होगी। पहले इस पर अलग-अलग दरें लगाई जाती थीं। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को पुरानी कार बेचता है, तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा।
मार्जिन पर जीएसटी
जीएसटी केवल मार्जिन पर लागू होगा, यानी वाहनों के बिक्री मूल्य से वाहन की आयकर मूल्यह्रास लागत या खरीद मूल्य को घटाकर जो राशि बचती है। यदि विक्रेता को लाभ हो, तो उस पर ही जीएसटी लगाया जाएगा।
उदाहरण-1: वाहन की बिक्री पर जीएसटी
मान लीजिए, कोई पंजीकृत इकाई 20 लाख रुपये की खरीद कीमत वाले किसी पुराने वाहन को 10 लाख रुपये में बेच रही है। यदि उसने उस पर आठ लाख रुपये का मूल्यह्रास दावा किया है, तो उसे कोई जीएसटी नहीं देना होगा। इसका कारण यह है कि बिक्री मूल्य 10 लाख रुपये है, जबकि मूल्यह्रास के बाद वाहन की मौजूदा कीमत 12 लाख रुपये है। इस स्थिति में विक्रेता को कोई लाभ नहीं हो रहा है।
उदाहरण-2: नकारात्मक मार्जिन पर जीएसटी
अब अगर कोई पंजीकृत इकाई एक पुराना वाहन 10 लाख रुपये में बेच रही है, जबकि उसकी खरीद कीमत 12 लाख रुपये थी, तो इस स्थिति में भी विक्रेता को जीएसटी नहीं देना होगा क्योंकि इसका मार्जिन नकारात्मक है।
सकारात्मक मार्जिन पर जीएसटी
अगर खरीद मूल्य 20 लाख रुपये था और बिक्री मूल्य 22 लाख रुपये है, तो विक्रेता को दो लाख रुपये के मार्जिन पर 18 प्रतिशत जीएसटी देना होगा। इस प्रकार, जीएसटी केवल विक्रेता के मार्जिन पर ही लागू होगा, न कि पूरी बिक्री राशि पर।
ईवाई के कर भागीदार सौरभ अग्रवाल की टिप्पणी
ईवाई के कर भागीदार सौरभ अग्रवाल ने कहा कि प्रस्तावित बदलाव को पुराने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कोई बड़ी बाधा नहीं माना जाना चाहिए। यह बदलाव व्यापारियों के लिए एक सुविधाजनक कदम हो सकता है, जो सेकेंड हैंड वाहनों के कारोबार में शामिल हैं।
निष्कर्ष
इस नए निर्णय से व्यापारियों को जीएसटी के मामले में अधिक स्पष्टता मिलेगी और वाहन के विक्रेता को केवल वास्तविक लाभ (मार्जिन) पर ही टैक्स देना होगा। यह कदम सेकेंड हैंड वाहन बिक्री उद्योग को बढ़ावा दे सकता है, खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों के संदर्भ में।