**बेंगलुरु में ‘डिजिटल अरेस्ट’ ठगी: साफ्टवेयर इंजीनियर से 11.8 करोड़ की धोखाधड़ी**
बेंगलुरु में एक साफ्टवेयर इंजीनियर को **’डिजिटल अरेस्ट‘** के नाम पर 11.8 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया। जालसाजों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर यह धोखाधड़ी की। पुलिस के अनुसार, 25 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच हुई इस धोखाधड़ी में आरोपी ने पीड़ित को धमकाकर पैसे हड़प लिए।
### **ठगी का तरीका:**
1. **फोन कॉल से शुरुआत:**
11 नवंबर को पीड़ित को एक फोन आया, जिसमें खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) का अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने दावा किया कि उसके आधार कार्ड का दुरुपयोग मनी लांड्रिंग के लिए हो रहा है।
2. **पुलिस अधिकारी बनकर धमकी दी:**
इसके बाद एक और व्यक्ति ने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए फोन किया और कहा कि मनी लांड्रिंग के आरोप में उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल बैंक खाता खोलने के लिए किया गया है। आरोपी ने पीड़ित को धमकी दी कि अगर वह जांच में सहयोग नहीं करता, तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
3. **स्काइप कॉल और वीडियो कांफ्रेंस:**
जालसाजों ने पीड़ित को स्काइप एप डाउनलोड करने के लिए कहा। फिर एक अन्य व्यक्ति ने पुलिस की वर्दी पहनकर वीडियो कॉल किया और दावा किया कि पीड़ित के आधार कार्ड का उपयोग एक कारोबारी ने छह करोड़ रुपये के लेनदेन के लिए किया है। जालसाजों ने परिवार को गिरफ्तार करने की धमकी दी और पैसे ट्रांसफर करने के लिए दबाव डाला।
4. **फर्जी दिशानिर्देशों का हवाला:**
जालसाजों ने आरबीआई के फर्जी दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए “सत्यापन” के नाम पर पैसे ट्रांसफर करने को कहा। डर के कारण पीड़ित ने कई बैंक खातों में 11.8 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए।
### **पीड़ित को हुआ धोखाधड़ी का अहसास:**
जब जालसाजों ने और पैसे की मांग की, तब पीड़ित को एहसास हुआ कि वह धोखाधड़ी का शिकार हो चुका है। उसने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने **आईटी अधिनियम** और **भारतीय न्याय संहिता** की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
यह घटना **’डिजिटल अरेस्ट’** के नाम पर धोखाधड़ी के एक नए तरीके को उजागर करती है, जिसमें जालसाज आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर लोगों को डराकर उनका पैसा हड़प लेते हैं।