मांगों की अनदेखी पर माध्यमिक विद्यालय प्रधानाचार्यों का धरना, आंदोलन की चेतावनी

**मांगों की अनदेखी पर माध्यमिक विद्यालय प्रधानाचार्यों का धरना, आंदोलन की चेतावनी** 

**लखनऊ।** 
माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों ने अपनी **लंबित मांगों** को लेकर सरकार और विभाग की उदासीनता पर नाराजगी जताते हुए **जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस)** कार्यालय परिसर में **धरना प्रदर्शन** किया। प्रधानाचार्य परिषद ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी **14 सूत्रीय मांगों** पर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो परिषद आंदोलन का रुख अपनाएगी। 

### **मुख्य बिंदु** 
– **प्रधानाचार्य परिषद** के प्रतिनिधियों ने अपनी मांगों के समर्थन में **मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन** डीआईओएस के प्रतिनिधि को सौंपा। 
– परिषद ने आरोप लगाया कि **शिक्षकों की समस्याओं** को लगातार अनदेखा किया जा रहा है। 

### **धरने के दौरान कही गई बातें** 
– **प्रदेश अध्यक्ष श्रीनाथ शुक्ला** ने कहा कि माध्यमिक शिक्षकों की समस्याएं लंबे समय से अनसुनी हो रही हैं, जो बर्दाश्त से बाहर है। 
– **शिव कुमार मिश्र** और **महामंत्री अनुपम कुमार मिश्र** ने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं करती, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। 
– धरने में उपस्थित अन्य शिक्षकों ने कहा कि विभाग की अनदेखी से शिक्षक समुदाय का मनोबल गिर रहा है। 

### **मांगें** 
प्रधानाचार्य परिषद ने अपनी **14 सूत्रीय मांगों** में कई महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल किया है, जिनमें: 
1. शिक्षकों के प्रमोशन में देरी का समाधान। 
2. शिक्षकों के लंबित भत्तों का जल्द भुगतान। 
3. शिक्षकों की रिक्तियों को भरने के लिए शीघ्र भर्ती प्रक्रिया। 
4. वेतन विसंगतियों को दूर करना। 
5. सेवानिवृत्त शिक्षकों के पेंशन और अन्य लाभों का समय पर निस्तारण। 
6. शिक्षकों को डिजिटल शिक्षा के लिए संसाधन उपलब्ध कराना। 

### **आंदोलन की चेतावनी** 
परिषद ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर सरकार उनकी मांगों को जल्द नहीं मानती, तो वे: 
– बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे। 
– यह आंदोलन जिलों से लेकर प्रदेश स्तर तक विस्तारित किया जाएगा। 

### **धरने में प्रमुख उपस्थिति** 
धरने में **राम सुंदर पांडेय, घनश्याम वाजपेई, ज्ञानचंद कन्नौजिया, राजेंद्र प्रसाद, और बृजेंद्र कुमार** सहित कई पदाधिकारी और शिक्षक शामिल हुए। 

### **निष्कर्ष** 
प्रधानाचार्य परिषद ने अपने धरने के जरिए सरकार को कड़ा संदेश दिया है कि यदि शिक्षकों की **वाजिब मांगों** को नजरअंदाज किया गया, तो इसका व्यापक विरोध किया जाएगा। अब यह देखना होगा कि सरकार और विभाग इन मुद्दों पर क्या कदम उठाते हैं।

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