पांचवीं और आठवीं कक्षा में फेल हो सकेंगे छात्र: केंद्र सरकार ने बदली 15 साल पुरानी नीति

**पांचवीं और आठवीं कक्षा में फेल हो सकेंगे छात्र: केंद्र सरकार ने बदली 15 साल पुरानी नीति** 

केंद्र सरकार ने स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव करते हुए **पांचवीं और आठवीं कक्षा तक फेल न करने की नीति को समाप्त कर दिया है।** अब इन कक्षाओं के छात्रों को नियमित परीक्षाओं के आधार पर अगली कक्षा में पदोन्नत किया जाएगा। यदि छात्र परीक्षा में असफल होते हैं, तो उन्हें पुनः परीक्षा का मौका मिलेगा। **दूसरी परीक्षा में भी असफल रहने पर छात्र को पुरानी कक्षा में ही रहना होगा।** 

### **मौजूदा सत्र से लागू होगा नया नियम** 
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने यह निर्देश जारी किया है कि **नया नियम मौजूदा शैक्षणिक सत्र से ही प्रभावी होगा।** संशोधित नीति के तहत, असफल छात्रों को सुधार के लिए पर्याप्त अवसर दिए जाएंगे। उन्हें दो महीने के भीतर दूसरी परीक्षा देने का मौका मिलेगा। 

### **शिक्षकों की भूमिका होगी अहम** 
इस नीति का उद्देश्य केवल छात्रों को रोकना नहीं, बल्कि उनकी शैक्षणिक कमजोरियों को सुधारना भी है। असफल छात्रों के लिए विशेष मार्गदर्शन कार्यक्रम चलाए जाएंगे। 
– **शिक्षक छात्रों का विशेष ध्यान रखेंगे और उनकी प्रगति पर नजर रखेंगे।** 
– अभिभावकों को भी शिक्षकों की ओर से आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी। 
– स्कूल के प्रधानाध्यापक छात्रों की सूची तैयार करेंगे और उनकी प्रगति की नियमित निगरानी करेंगे। 

### **2009 में शुरू हुई थी ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’** 
यह बदलाव **2009 में लागू ‘निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम’** के एक प्रमुख प्रावधान को समाप्त करता है। इस अधिनियम के तहत, **आठवीं कक्षा तक छात्रों को फेल न करने की नीति** लागू की गई थी, जिसका उद्देश्य प्रारंभिक शिक्षा को बढ़ावा देना था। 

हालांकि, इस नीति का एक नकारात्मक प्रभाव यह हुआ कि छात्रों की पढ़ाई की गुणवत्ता में कमी आई। **रटने और केवल कक्षा पास करने पर आधारित शिक्षा प्रणाली ने छात्रों के समग्र विकास को बाधित किया।** 

### **नई नीति: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की ओर कदम** 
सरकार का कहना है कि नई नीति छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी। 
– छात्रों को रटने और प्रक्रियात्मक कौशल आधारित सवालों के बजाय **व्यावहारिक ज्ञान और समग्र विकास** परखा जाएगा। 
– यह बदलाव न केवल छात्रों की शिक्षा को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाएगा। 

### **15 साल बाद क्यों हुआ बदलाव?** 
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि **नो डिटेंशन पॉलिसी** के कारण छात्रों की पढ़ाई में गंभीरता की कमी हो गई थी। इसके अलावा, शिक्षकों को भी छात्रों के प्रदर्शन पर ध्यान देने का अवसर नहीं मिला। 
अब, 15 साल बाद, केंद्र सरकार ने इस नीति को बदलते हुए **पांचवीं और आठवीं में छात्रों के प्रदर्शन को आधार** बनाकर उन्हें अगली कक्षा में भेजने का फैसला किया है। 

### **निष्कर्ष** 
इस नई नीति का उद्देश्य न केवल छात्रों की शैक्षणिक प्रगति में सुधार करना है, बल्कि शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता सुनिश्चित करना भी है। **यह कदम छात्रों के प्रदर्शन को और बेहतर बनाने के साथ-साथ उनके भविष्य के लिए मजबूत नींव तैयार करने में सहायक होगा।** 

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