**माइक्रोप्लास्टिक के छुपे हुए खतरों से कैसे हम अपने शरीर को प्रभावित कर रहे हैं?**
माइक्रोप्लास्टिक—यह छोटे-छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, जो 5 मिलीमीटर से भी छोटे होते हैं, और ये धीरे-धीरे हमारे शरीर का हिस्सा बनते जा रहे हैं। हमारे रोज़मर्रा के जीवन में ये प्लास्टिक कण धीरे-धीरे हमारी खानपान की आदतों और सांस लेने के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर रहे हैं। हाल ही में किए गए अध्ययनों में यह सामने आया है कि एक इंसान सालभर में कम से कम **260 ग्राम** तक प्लास्टिक निगल सकता है। लेकिन ये कैसे होता है, और इसका हमारे स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ सकता है?
### **हमारे रोज़मर्रा के जीवन में माइक्रोप्लास्टिक: ये हमारे शरीर में कैसे प्रवेश करते हैं?**
माइक्रोप्लास्टिक हर जगह मौजूद हैं: महासागरों, मिट्टी और यहां तक कि हवा में भी। न्यूकैसल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर थावा पलानीसामी द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में लोग सबसे अधिक माइक्रोप्लास्टिक निगलते हैं, खासकर वे लोग जो समुद्री भोजन का सेवन अधिक करते हैं। ये कण हमारे शरीर में कई तरीकों से प्रवेश करते हैं—मुख्य रूप से समुद्री भोजन, बोतल बंद पानी, नल का पानी, नमक, शहद, चीनी, और यहां तक कि बीयर जैसे पेय पदार्थों के जरिए। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि बोतल बंद पानी में सबसे अधिक माइक्रोप्लास्टिक कण पाए गए हैं।
चूंकि ये कण बहुत छोटे होते हैं, यह खाद्य श्रृंखला में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं। एक बार जब ये कण हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, तो वे पाचन तंत्र में अटक सकते हैं, रक्त प्रवाह के माध्यम से शरीर में फैल सकते हैं और यहां तक कि शरीर के अंगों में जमा हो सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है।
### **हम सच में कितना प्लास्टिक निगलते हैं?**
संख्याएँ चिंता पैदा करने वाली हैं। AIIMS (ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, एक इंसान साल में **5.2 ग्राम प्लास्टिक** निगलता है, जबकि कुछ लोगों के लिए यह आंकड़ा **260 ग्राम** तक जा सकता है। जब आप रोज़मर्रा की चीज़ों जैसे भोजन, पानी, और वायु को ध्यान में रखते हैं, तो यह आंकड़ा बहुत तेजी से बढ़ जाता है।
अध्ययन से यह भी पता चला कि एक व्यक्ति साल में **11,000** से लेकर **1.93 लाख माइक्रोप्लास्टिक कण** तक निगल सकता है। इनमें से अधिकांश माइक्रोप्लास्टिक कण समुद्री भोजन, बोतल बंद पानी, नमक, चीनी और बीयर जैसे सामान्य खाद्य और पेय पदार्थों से आते हैं।
### **स्वास्थ्य पर असर: माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में क्या कर सकते हैं?**
जब माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं, तो यह हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। AIIMS की प्रोफेसर डॉ. रीमा दादा ने कहा कि ये छोटे कण हमारे शरीर में प्रवेश करते ही हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं, जिससे हम कई बीमारियों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
माइक्रोप्लास्टिक से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में शामिल हैं:
– **हार्मोनल असंतुलन**: माइक्रोप्लास्टिक में ऐसे रसायन होते हैं, जो हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकते हैं, जिससे **मधुमेह**, **बांझपन**, और **थायरॉयड** जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
– **न्यूरोलॉजिकल विकार**: लंबे समय तक माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में रहने से मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
– **कैंसर**: प्लास्टिक में मौजूद कुछ रसायन कैंसरजनक हो सकते हैं, जो विभिन्न प्रकार के कैंसर का कारण बन सकते हैं।
### **माइक्रोप्लास्टिक के सबसे सामान्य स्रोत: क्या आपको सच में जानने की जरूरत है?**
माइक्रोप्लास्टिक के सबसे बड़े स्रोत हैं **नल का पानी**, **बोतल बंद पानी**, और **समुद्री भोजन**। बोतल बंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक कणों की उच्चतम सांद्रता पाई गई है, जो प्लास्टिक की बोतल से रिसते हैं और पानी में मिल जाते हैं। इसके अलावा, **शहद**, **चीनी**, और यहां तक कि **बीयर** भी माइक्रोप्लास्टिक से प्रभावित हो सकते हैं।
प्रोफेसर थावा पलानीसामी ने यह भी बताया कि हम जिस हवा में सांस लेते हैं, उसमें भी माइक्रोप्लास्टिक कण मौजूद होते हैं। यह कण हवा के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे एक और खतरा बढ़ जाता है।
### **हम अपनी रक्षा कैसे कर सकते हैं?**
हालाँकि माइक्रोप्लास्टिक से पूरी तरह से छुटकारा पाना असंभव है, लेकिन कुछ कदम हैं जिन्हें हम अपनी सुरक्षा के लिए उठा सकते हैं:
– **प्लास्टिक का उपयोग कम करें**: पुनः उपयोग किए जा सकने वाले कंटेनरों का उपयोग करें और जब भी संभव हो, बोतल बंद पानी से बचें। कांच या धातु से बने पैकेजिंग उत्पादों का चयन करें।
– **स्थानीय और सतत खाद्य पदार्थों का सेवन करें**: समुद्री भोजन का चयन सावधानी से करें और पैक किए गए खाद्य पदार्थों पर अधिक निर्भर न रहें।
– **अपने पानी को फिल्टर करें**: नल और बोतल बंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक को कम करने के लिए उचित फिल्टर का उपयोग करें।
– **वायु प्रदूषण से बचें**: अपने घर में वेंटिलेशन सुनिश्चित करें और हवा को शुद्ध करने के लिए एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।
### **निष्कर्ष: वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता**
माइक्रोप्लास्टिक के बारे में जानकारी हमें एक चेतावनी देती है। जैसे-जैसे ये हानिकारक कण हमारे जीवन के हर हिस्से में प्रवेश कर रहे हैं, यह जरूरी हो जाता है कि हम अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए अधिक सतर्क रहें। सरकारें, वैज्ञानिक और उद्योग को मिलकर प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने और सुरक्षित विकल्पों को बढ़ावा देने की दिशा में काम करना चाहिए। तब तक, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस अज्ञेय खतरे से अपने स्वास्थ्य की रक्षा करें और जागरूकता फैलाएं।
यह सच है कि माइक्रोप्लास्टिक सिर्फ पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि हमारे शरीर के लिए भी एक गंभीर समस्या बन चुके हैं। हमें अब इस समस्या के समाधान के लिए कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में इसके खतरों से बचा जा सके।
