### **जातीय जनगणना: सर्वसम्मति बनाने की कवायद शुरू, सरकार ने दिए संकेत**
**नई दिल्ली:** जातीय जनगणना के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने सर्वसम्मति बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने के संकेत दिए हैं। हालांकि अभी इस संबंध में कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, **सरकार सैद्धांतिक तौर पर इस विचार के खिलाफ नहीं है**। जातीय जनगणना के लिए एक **समिति गठन** पर विचार हो सकता है, जिसमें सभी राजनीतिक दलों को शामिल किया जाएगा।
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### **जातीय जनगणना: एक ऐतिहासिक और संवेदनशील मुद्दा** जातीय जनगणना का इतिहास **1872 से 1931** तक का है। - **1901 की जनगणना** में 1,646 जातियों की पहचान की गई थी। - 1931 में यह संख्या बढ़कर **4,147** हो गई। - **2011 में, 46 लाख जातियों का उल्लेख किया गया**, लेकिन यह आंकड़े आज तक सार्वजनिक नहीं हुए।
1951 के बाद से, जनगणना में **जातिगत आंकड़ों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति** तक सीमित कर दिया गया, जबकि **ओबीसी और अन्य जातियों** का कोई विस्तृत रिकॉर्ड नहीं रखा गया।
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### **चुनौतियां और पेचीदगियां** सरकार के लिए जातीय जनगणना को लेकर कई **तकनीकी और सामाजिक चुनौतियां** हैं: 1. **जातियों की विविधता:** - देश में एक ही टाइटल से जुड़ी कई जातियां हैं, जो अलग-अलग वर्गों में आती हैं। - कंप्यूटर आधारित गणना के लिए यह एक जटिल समस्या हो सकती है। 2. **सटीक वर्गीकरण:** - लाखों जातियों की पहचान और उनकी श्रेणीबद्धता करना मुश्किल होगा। 3. **संप्रदाय का प्रश्न:** - कुछ जातियों का धार्मिक और सामाजिक वर्गीकरण अलग-अलग हो सकता है, जिससे आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं।
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### **2011 की जनगणना और विवाद** 2011 में पहली बार **सामाजिक-आर्थिक और जाति आधारित आंकड़े** एकत्र किए गए, लेकिन यह डाटा सार्वजनिक नहीं किया गया। - विशेषज्ञों का मानना है कि इस डेटा को सार्वजनिक करने से **सामाजिक असमानता और आरक्षण नीति** पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। - मंडल आयोग ने 1980 में अपनी सिफारिशें **1931 की जातीय जनगणना** के आधार पर दी थीं।
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### **सरकार का रुख और संभावित समाधान** सूत्रों के मुताबिक, भाजपा **सैद्धांतिक रूप से जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं** है, लेकिन इसके लिए स्पष्ट योजना बनानी होगी। - **समिति का गठन:** - प्रस्तावित समिति में सभी दलों को शामिल कर चर्चा की जाएगी। - आम सहमति बनने के बाद आगे की रणनीति तय होगी। - **जनगणना का प्रारंभ:** - 2025 में जनगणना शुरू होने की संभावना है।
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### **भविष्य की राह** जातीय जनगणना को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच सहमति बनाना एक कठिन प्रक्रिया होगी। लेकिन यह कदम समाज के **वंचित वर्गों की पहचान और सशक्तिकरण** के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि यह प्रक्रिया **पारदर्शी और निष्पक्ष** हो, ताकि जातीय आंकड़े सामाजिक न्याय और विकास की नीतियों के आधार बन सकें।