
भारतीय संविधान में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है जो यह कहता हो कि आरक्षण पूरी तरह से दस साल के भीतर समाप्त कर दिया जाना चाहिए। लेकिन संविधान के प्रारंभिक मसौदे में कुछ विशेष प्रावधानों के लिए समय-सीमा निश्चित की गई थी।
### मुख्य बिंदु:
1. **अनुच्छेद 334**:
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 334 यह प्रावधान करता है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए आरक्षण की अवधि शुरुआत में केवल **10 साल** के लिए निर्धारित की गई थी।
लेकिन इस प्रावधान को हर दस साल के बाद संविधान संशोधन के माध्यम से बढ़ाया जाता रहा है। वर्तमान में, यह आरक्षण **2030** तक लागू है।
2. **सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों का आरक्षण**:
अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के तहत सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान है। इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है, क्योंकि यह सामाजिक समानता लाने के उद्देश्य से किया गया है।
### आरक्षण समाप्त करने की बहस:
– कुछ नेताओं और विचारकों ने संविधान सभा में यह तर्क दिया था कि आरक्षण केवल कुछ वर्षों के लिए होना चाहिए, ताकि समाज में समानता आ सके।
– लेकिन आरक्षण को जारी रखने की जरूरत समाज में अभी भी व्याप्त असमानता और भेदभाव के कारण मानी गई है।
**निष्कर्ष:**
भारतीय संविधान में आरक्षण को समाप्त करने के लिए समय-सीमा केवल राजनीतिक आरक्षण (SC/ST) के संदर्भ में निर्धारित की गई थी, लेकिन इसे समय-समय पर बढ़ाया गया। अन्य प्रकार के आरक्षण (जैसे शिक्षा और नौकरी में) के लिए कोई समय सीमा नहीं है।