प्राथमिक विद्यालय में दलित छात्र की पिटाई: प्रिंसिपल और शिक्षक पर एससी-एसटी का मुकदमा दर्ज

**प्राथमिक विद्यालय में दलित छात्र की पिटाई: प्रिंसिपल और शिक्षक पर एससी-एसटी का मुकदमा दर्ज** 

**लहरपुर, सीतापुर:** उत्तर प्रदेश के लच्छन नगर प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले एक दलित छात्र की पिटाई का मामला सामने आया है। इस घटना के आरोप में विद्यालय के प्रिंसिपल और एक शिक्षक के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। 

### **क्या है मामला?** 
कोतवाली लहरपुर क्षेत्र के ग्राम लच्छन नगर की निवासी **रानी** ने आरोप लगाया कि 20 सितंबर को विद्यालय में पढ़ने वाले उनके बेटे **कमल** ने शिक्षकों से देरी से आने को लेकर सवाल किया था। 
कमल ने शिक्षकों से कहा: 
> “सर, एक दिन मैं थोड़ी देर से आया था तो आपने डांटा और मारा भी था। लेकिन आप तो काफी देर से आते हैं।” 

इस बात से नाराज होकर विद्यालय के **प्रिंसिपल दुर्गेश कुमार** ने कथित रूप से कमल के पेट में मुक्का मारा, जिससे उसकी **आंत में सूजन** आ गई। 

### **मां ने लगाया न्याय न मिलने का आरोप** 
पीड़ित की मां रानी ने बताया कि घटना के बाद उन्होंने थाने में तहरीर दी और शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को भी प्रार्थनापत्र भेजा। लेकिन, कहीं भी सुनवाई नहीं हुई। न्याय की उम्मीद खत्म होने पर उन्होंने **एडीजे एससी/एसटी कोर्ट** में अपील की। 

### **कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज** 
रानी की याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने मामले में **एससी-एसटी एक्ट** के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। 
आरोपियों में शामिल हैं: 
**प्रिंसिपल दुर्गेश कुमार** 
– **शिक्षक संदीप कुमार** 

### **घटना की गंभीरता** 
मां के अनुसार, प्रिंसिपल और शिक्षक का व्यवहार पहले से ही अनुचित था। दोनों समय पर विद्यालय नहीं आते थे। घटना के दिन भी उन्होंने देरी से आकर छात्रों पर अनुचित दबाव बनाया। 

### **शिक्षा विभाग की चुप्पी पर सवाल** 
यह घटना शिक्षा विभाग की लापरवाही को उजागर करती है। रानी ने बार-बार विभाग के अधिकारियों से न्याय की मांग की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

### **दलित छात्र के अधिकारों का उल्लंघन** 
यह मामला केवल शारीरिक हिंसा का नहीं, बल्कि **दलित छात्र के अधिकारों के उल्लंघन** का है। शिक्षकों का यह व्यवहार न केवल बच्चे की शारीरिक, बल्कि मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करता है। 

### **निष्कर्ष** 
यह घटना शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले विद्यालयों में भी जातिगत भेदभाव और अनुशासनहीनता की गंभीर स्थिति को उजागर करती है। कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज करना न्याय की दिशा में एक कदम है। अब जरूरत है कि सरकार और शिक्षा विभाग इस मामले की जांच करें और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करें। 

**बच्चों को सुरक्षित और समान शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए।** 

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