बिना अनुमति स्कूल में घुसे छह पत्रकारों पर एफआईआर:

**बिना अनुमति स्कूल में घुसे छह पत्रकारों पर एफआईआर: जनपद मऊ में बड़ा मामला दर्ज**

**मऊ।** जनपद मऊ में पत्रकारिता जगत को उस समय झटका लगा जब *सोमवार को छह पत्रकारों* के खिलाफ पुलिस ने गंभीर धाराओं में **एफआईआर दर्ज** कर विवेचना शुरू कर दी। मामला रणवीरपुर स्थित *कम्पोजिट विद्यालय* से जुड़ा है, जहां बिना अनुमति के स्कूल में घुसने, वीडियो बनाने और सोशल मीडिया पर उसे वायरल करने का आरोप लगाया गया है। 



### **क्या है पूरा मामला?** 
कम्पोजिट विद्यालय की अध्यापिका एवं कथा वाचिका **डॉ. रागिनी मिश्रा** ने *सरायलखंसी थाने* में तहरीर देकर बताया कि छह पत्रकारों ने विद्यालय में बिना अनुमति प्रवेश किया। आरोप है कि इन पत्रकारों ने विद्यालय में वीडियो बनाया और उसे वायरल कर दिया। इसके अलावा, डॉ. रागिनी मिश्रा का यह भी आरोप है कि पत्रकारों ने उनसे **दस हजार रुपये प्रति माह** की मांग की और ऐसा न करने पर उनकी *सार्वजनिक छवि खराब करने* की धमकी दी। 



### **एफआईआर में दर्ज धाराएं** 
पुलिस ने इस मामले में *भारतीय न्याय संहिता, 2023* की विभिन्न धाराओं और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है। दर्ज की गई धाराएं इस प्रकार हैं: 
– **धारा 79:** अवैध तरीके से किसी स्थान में घुसना। 
– **धारा 308(2):** गंभीर नुकसान पहुंचाने का प्रयास। 
– **धारा 352:** बल प्रयोग का आरोप। 
– **धारा 351(2):** धमकी और मानसिक प्रताड़ना। 
**सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2008 की धारा 67:** सोशल मीडिया या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अनुचित सामग्री का प्रसार। 



### **जांच के बाद शुरू हुई कार्रवाई** 
डॉ. रागिनी मिश्रा की शिकायत पर *पुलिस अधीक्षक (एसपी)* के आदेश के बाद उक्त धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज किया गया। पुलिस मामले की **विवेचना** में जुटी है और आरोपित पत्रकारों की भूमिका की गहन जांच कर रही है। 



### **जनपद में बढ़ा कौतूहल** 
इस घटना के सामने आने के बाद जनपद मऊ में मामला चर्चा का विषय बन गया है। पत्रकारिता जैसे सम्मानित पेशे पर लगे इस आरोप से जनपद की निष्पक्ष पत्रकारिता पर सवाल खड़े हो गए हैं। साथ ही, मामले के कारण पत्रकार और प्रशासन के बीच स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। 



### **बिना अनुमति प्रवेश: नियमों का उल्लंघन** 
विद्यालयों में किसी भी प्रकार की रिपोर्टिंग, वीडियो रिकॉर्डिंग या मीडिया कार्य के लिए संबंधित अधिकारियों से *पूर्व अनुमति* लेना अनिवार्य है। बिना अनुमति के विद्यालय परिसर में प्रवेश करना न केवल *कानूनी अपराध* है, बल्कि यह शैक्षिक संस्थान की गरिमा को भी ठेस पहुंचाता है। 



### **आगे की कार्रवाई** 
पुलिस ने स्पष्ट किया है कि मामले की जांच *पारदर्शिता और निष्पक्षता* के साथ की जाएगी। सभी आरोपितों से पूछताछ की जाएगी और साक्ष्यों के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। 



### **निष्कर्ष** 
यह घटना न केवल पत्रकारिता जगत को *आईना दिखाती* है, बल्कि शैक्षिक संस्थानों की सुरक्षा और गरिमा की भी याद दिलाती है। मीडिया की भूमिका निष्पक्ष और सटीक जानकारी देने की होती है, लेकिन जब नियमों का उल्लंघन होता है, तो यह समाज में गलत संदेश देता है। 

**समय की मांग है कि ऐसे मामलों में सत्यता की जांच हो और सभी पक्षों की बात सुनी जाए, ताकि निष्पक्ष न्याय हो सके।** 

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