हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: डीएम को बेसिक स्कूलों का निरीक्षण करने का अधिकार नहीं

### हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: **डीएम को बेसिक स्कूलों का निरीक्षण करने का अधिकार नहीं**

**प्रयागराज,  
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि जिलाधिकारी (डीएम) को बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत आने वाले विद्यालयों के निरीक्षण और उनके कार्यों में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने डीएम के आदेश पर किए गए निरीक्षण और उसके आधार पर एक शिक्षिका के निलंबन को अवैधानिक ठहराया है। इस आदेश ने शिक्षा विभाग के प्रशासनिक अधिकारों और उनकी सीमाओं को लेकर स्पष्टता प्रदान की है।



### **डीएम और बीएसए से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा** 
हाईकोर्ट ने संभल जिले के डीएम और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। हलफनामे में यह बताने को कहा गया है कि किन कानूनी प्रावधानों के तहत डीएम ने विद्यालय के कार्यों में हस्तक्षेप किया और निरीक्षण का आदेश दिया।

संभल के एक प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका संतोष कुमारी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए, डीएम के निर्देश पर एसडीएम और खंड शिक्षा अधिकारी ने संयुक्त रूप से विद्यालय का निरीक्षण किया था। इसके बाद शिक्षिका को खराब प्रदर्शन का हवाला देते हुए निलंबित कर दिया गया। शिक्षिका ने इस निलंबन आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।



### **कोर्ट का फैसला: आदेश अवैध, डीएम का क्षेत्राधिकार नहीं** 
न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि **डीएम को बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों का निरीक्षण करने का कोई अधिकार नहीं है।** बेसिक शिक्षा परिषद के तहत संचालित विद्यालयों का प्रबंधन और निरीक्षण बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) के अधिकार क्षेत्र में आता है। डीएम राजस्व अधिकारी हैं और शिक्षा विभाग के कार्यों में उनका कोई प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं हो सकता। 

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि डीएम द्वारा जारी आदेश न केवल अधिकार क्षेत्र से बाहर था, बल्कि इस प्रक्रिया में बीएसए भी समान रूप से जिम्मेदार हैं। बीएसए ने डीएम को यह नहीं बताया कि उन्हें ऐसे निरीक्षण का अधिकार नहीं है, जो उनकी जिम्मेदारी की कमी को दर्शाता है।



### **नॉमिनी को उत्तराधिकार प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं** 
हाईकोर्ट ने एक अन्य महत्वपूर्ण मामले में निर्णय दिया कि **किसी मृतक कर्मचारी के उत्तराधिकारी को उसकी सेवा से जुड़े लाभ प्राप्त करने के लिए उत्तराधिकार प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है,** यदि कर्मचारी ने उसे नॉमिनी के रूप में नामांकित किया है। 

न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने इस मामले में स्पष्ट किया कि यदि कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में किसी का नाम नॉमिनी के रूप में दर्ज है, तो वही मान्य होगा। यह आदेश एक दिवंगत कर्मचारी की पत्नी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया। विभाग ने उनकी मांग को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि उन्होंने उत्तराधिकार प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं किया। कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए याची के पक्ष में आदेश दिया।



### **कोर्ट के फैसले के प्रभाव** 
1. **शिक्षा विभाग में अधिकारों की स्पष्टता:** यह फैसला बेसिक शिक्षा परिषद के कार्यक्षेत्र और निरीक्षण संबंधी जिम्मेदारियों को लेकर एक मिसाल बनेगा। 
2. **प्रशासनिक हस्तक्षेप पर रोक:** डीएम जैसे वरिष्ठ अधिकारियों को उनकी सीमाओं का ज्ञान होगा, जिससे शिक्षा विभाग में अनावश्यक हस्तक्षेप रुकेगा। 
3. **नॉमिनी के अधिकारों की पुष्टि:** मृतक कर्मचारियों के नॉमिनी को उनके लाभ लेने में अनावश्यक कानूनी बाधाओं से राहत मिलेगी। 

हाईकोर्ट का यह निर्णय शिक्षा और प्रशासनिक क्षेत्र में अधिकारों और दायित्वों की स्पष्टता के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

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