**अब देश में भी होगी विदेश जैसी पढ़ाई और स्किलिंग**
*सरकार का प्रयास: भारतीय छात्रों को देश में ही उच्च शिक्षा और स्किलिंग के बेहतर विकल्प प्रदान करना*
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### **विदेश जाने का रुख थामने की कोशिश**
हर साल लाखों भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश का रुख करते हैं। इसके पीछे विदेशी विश्वविद्यालयों की बेहतर शिक्षा, इंटर्नशिप की सुविधा, और वैश्विक स्तर की पढ़ाई प्रमुख कारण हैं। शिक्षा मंत्रालय अब इस चलन को रोकने और छात्रों को देश में ही विश्वस्तरीय शिक्षा देने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है।
हाल ही में **विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी)** ने उच्च शिक्षा में सुधार के तहत कई अहम कदम उठाए हैं। इनमें स्नातक की पढ़ाई के साथ इंटर्नशिप को अनिवार्य करना और पढ़ाई के अनुभव को क्रेडिट फ्रेमवर्क में शामिल करना जैसे बदलाव शामिल हैं।
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### **यूजीसी की प्रमुख पहलें**
#### **इंटर्नशिप अनिवार्य**
स्नातक की पढ़ाई के दौरान छात्रों को इंटर्नशिप करनी होगी। यह कदम छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान देने के साथ-साथ उनकी रोजगार संभावनाओं को भी मजबूत करेगा।
#### **क्रेडिट फ्रेमवर्क लागू**
शिक्षा और अनुभव को अब क्रेडिट में बदला जाएगा। उदाहरण के तौर पर, 30 घंटे की पढ़ाई के लिए एक क्रेडिट अंक मिलेगा। यह प्रणाली छात्रों को बीच में पढ़ाई छोड़ने या दोबारा शुरू करने की स्वतंत्रता देगी।
#### **अनुभव का सम्मान**
छात्रों के निजी अनुभव जैसे कला, संगीत, शिल्प, या कार्य अनुभव को भी डिग्री और डिप्लोमा के क्रेडिट में गिना जाएगा। इससे छात्रों को उनकी रुचि के अनुसार शिक्षा हासिल करने का मौका मिलेगा।
#### **कोर्स चयन की स्वतंत्रता**
अब छात्रों को किसी भी विषय में दाखिला लेने की छूट होगी, चाहे उन्होंने वह विषय 12वीं तक पढ़ा हो या नहीं। यह लचीलापन छात्रों को उनकी पसंद के कोर्स में आगे बढ़ने का अवसर देगा।
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### **विदेशी विश्वविद्यालयों का अध्ययन**
शिक्षा मंत्रालय ने उन विदेशी विश्वविद्यालयों का अध्ययन शुरू किया है, जो भारतीय छात्रों को आकर्षित करते हैं। इसके तहत मंत्रालय यह पता लगा रहा है:
– सबसे अधिक छात्र किन देशों में पढ़ने जाते हैं।
– वह कौन से कोर्स और विषयों को चुनते हैं।
– इन विश्वविद्यालयों में क्या खासियत है जो छात्रों को आकर्षित करती है।
– पढ़ाई और जीवन यापन का कुल खर्च कितना होता है।
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### **विदेश पढ़ाई के चलन से नुकसान**
2024 में लगभग **13.50 लाख भारतीय छात्र** उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए, जबकि 2022 में यह संख्या **9 लाख** थी।
इस बढ़ती संख्या से देश को दो प्रमुख नुकसान हो रहे हैं:
1. **प्रतिभा का पलायन**: पढ़ाई के बाद अधिकांश छात्र विदेश में ही बस जाते हैं।
2. **आर्थिक नुकसान**: विदेशों में शिक्षा पर खर्च होने वाला पैसा देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।
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### **देश में बनेगा स्टेटस सिंबल**
विदेश जाकर पढ़ाई करना अब एक **स्टेटस सिंबल** बन चुका है। शिक्षा मंत्रालय इसे बदलने के लिए शिक्षा और स्किलिंग को देश में ही बेहतर बनाने पर जोर दे रहा है। इसके तहत **विश्वस्तरीय सुविधाएं**, **बेहतर इंटर्नशिप प्रोग्राम**, और **अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोर्स** तैयार किए जा रहे हैं।
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### **अंतिम शब्द**
शिक्षा मंत्रालय का यह कदम भारतीय छात्रों के लिए एक नई राह खोल सकता है। यह न केवल उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा देश में ही प्रदान करेगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और प्रतिभा को भी मजबूत करेगा।
*”अब भारतीय छात्र अपने सपनों को साकार करने के लिए विदेश जाने के बजाय देश में ही बेहतरीन अवसरों का लाभ उठा सकेंगे।”*
