एक देश, एक चुनाव: दो चरणों में व्यवस्था लागू करने की सिफारिश

# **एक देश, एक चुनाव: दो चरणों में व्यवस्था लागू करने की सिफारिश** 

**नई दिल्ली।** भारत में चुनावी प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से **”एक देश, एक चुनाव“** की अवधारणा पर समिति ने विस्तृत सिफारिशें प्रस्तुत की हैं। इसमें लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगरपालिकाओं, और पंचायतों के चुनाव एक समन्वित समय-सीमा में आयोजित करने का प्रस्ताव है। 



## **प्रमुख सिफारिशें** 

### **चुनाव प्रक्रिया के दो चरण** 
1. **पहला चरण:** 
   – लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं। 
2. **दूसरा चरण:** 
   – नगरपालिकाओं और पंचायतों के चुनाव लोकसभा और विधानसभाओं के साथ समन्वयित कर **100 दिनों के भीतर पूरे किए जाएं।** 

### **विशेष स्थितियां** 
– **त्रिशंकु सदन या अविश्वास प्रस्ताव:** 
  – ऐसी स्थिति में नए सिरे से चुनाव कराए जाएंगे। 
  – नए लोकसभा चुनावों के बाद सदन का कार्यकाल केवल शेष अवधि के लिए होगा। 
**राज्य विधानसभाओं के विशेष चुनाव:** 
  – विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति तक जारी रहेगा। 



## **एक समान प्रणाली की सिफारिशें** 
– **मतदाता सूची और पहचान पत्र:** 
  – पूरे देश के लिए **एक समान मतदाता सूची और पहचान पत्र** तैयार करने की सिफारिश। 
  – इसके लिए चुनाव आयोग और राज्य चुनाव अधिकारियों के बीच समन्वय किया जाएगा। 



## **बार-बार चुनाव के नुकसान** 
समिति ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद शुरू के दो दशकों तक समकालिक चुनावों के चलते देश में स्थिरता थी। लेकिन अब हर साल होने वाले चुनावों से निम्नलिखित नुकसान होते हैं: 
1. **आर्थिक प्रभाव:** 
   – बार-बार चुनाव कराने का खर्च सरकारी खजाने पर भारी बोझ डालता है। 
2. **प्रशासनिक बाधाएं:** 
   – सरकारी कर्मचारियों और सुरक्षाबलों की बार-बार तैनाती से उनके मूल कार्य बाधित होते हैं। 
3. **नीति-निर्माण में रुकावट:** 
   – चुनावी प्रक्रिया के दौरान नीतियों के कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न होती है। 
4. **व्यवसाय और उत्पादन पर असर:** 
   – चुनाव के कारण प्रवासी श्रमिकों को मतदान के लिए काम छोड़ना पड़ता है, जिससे आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होती है। 



## **आगे का रास्ता** 

### **संविधान में संशोधन** 
– **अनुच्छेद 82ए:** 
  – सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल के साथ समाप्त होगा। 
– **अनुच्छेद 24ए:** 
  – राष्ट्रपति को चुनावों की तिथि तय करने का अधिकार दिया जाएगा। 
– **विशेष स्थितियों के प्रावधान:** 
  – यदि किसी विशेष राज्य में चुनाव कराना संभव न हो, तो राष्ट्रपति आयोग की सिफारिश पर चुनाव की घोषणा कर सकते हैं। 

### **मतदान प्रक्रिया में सुधार** 
– **मतदान के प्रति जागरूकता:** 
  – एक साथ चुनाव होने से मतदाताओं में मतदान के प्रति उदासीनता दूर होगी। 
– **सरकार की स्थिरता:** 
  – समकालिक चुनाव नीति-निर्माण में निश्चितता और स्थिरता लाएंगे। 



## **एक देश, एक चुनाव क्यों जरूरी?** 
– बार-बार चुनावों से प्रशासनिक कार्यों में बाधा और सरकारी तंत्र में व्यवधान पैदा होता है। 
– नागरिकों के लिए बार-बार चुनाव कठिनाइयों का कारण बनते हैं। 
– सुरक्षा बलों और सरकारी कर्मचारियों की बार-बार तैनाती से उनके मूल कर्तव्यों पर असर पड़ता है। 



## **निष्कर्ष** 
समिति की सिफारिशें एक साथ चुनाव कराने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। यदि ये सिफारिशें लागू होती हैं, तो इससे न केवल चुनाव प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि नीति-निर्माण और प्रशासनिक स्थिरता में भी मदद मिलेगी। यह भारत के लोकतंत्र के लिए एक प्रभावी और स्थायी समाधान हो सकता है। 

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