बथुआ: साग नहीं, एक अमूल्य औषधि
जब तक बथुआ मिले, इसे खाइए और सेहत बनाइए।
सागों का राजा बथुआ केवल स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि पोषण से भरपूर और औषधीय गुणों का खजाना है। इसे अंग्रेजी में Lamb’s Quarters कहते हैं और इसका वैज्ञानिक नाम Chenopodium album है।
बथुए के गुणों का इतिहास
बथुआ सदियों से हमारे खान-पान का हिस्सा रहा है। इसे साग और रायते के रूप में खाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्राचीन काल में हमारे पूर्वज मकानों में हरे रंग के प्लास्टर के लिए बथुए का इस्तेमाल करते थे?
पुरानी महिलाएँ बालों से डैंड्रफ हटाने के लिए बथुए के पानी से सिर धोया करती थीं।
पोषक तत्वों का खजाना
बथुआ विटामिन्स B1, B2, B3, B5, B6, B9 और C से भरपूर है। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, मैगनीज, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, और जिंक जैसे मिनरल्स भी पाए जाते हैं।
100 ग्राम बथुए में:
7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट
4.2 ग्राम प्रोटीन
4 ग्राम फाइबर
और केवल 43 कैलोरी होती हैं।
जब इसे मट्ठा, दही, या लस्सी में मिलाकर खाया जाए, तो यह न केवल सुपाच्य बनता है बल्कि प्रोटीन और पोषण में किसी भी मांसाहारी आहार को पीछे छोड़ देता है।
औषधीय गुण
1. किडनी स्टोन से बचाव: बथुए का नियमित सेवन गुर्दे में पथरी नहीं होने देता।
2. पाचन में सुधार: यह पेट को साफ रखता है और कब्ज को दूर करता है।
3. लीवर के लिए लाभकारी: इसका रस खराब लीवर को भी ठीक करता है।
4. मासिक धर्म की समस्या: बथुए के बीजों का काढ़ा पीने से मासिक धर्म संबंधी समस्याएँ दूर होती हैं।
5. पेशाब संबंधी रोग: बथुए का उबला पानी पीने से पेशाब की समस्या में राहत मिलती है।
6. आँखों की सूजन और लालिमा: बथुए की सब्जी खाने से आँखों को आराम मिलता है।
कैसे करें सेवन?
साग के रूप में: कम मसाले और देसी घी के छौंक के साथ।
उबला पानी: इसे उबालकर पानी पीने से कई बीमारियाँ ठीक होती हैं।
रायता: दही में मिलाकर इसका रायता बनाएं।
काढ़ा: पानी में उबालकर इसे पीने से पेट और पेशाब की समस्याओं में फायदा होता है।
प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का मेल
हमारे दादा-दादी ने कभी अंग्रेजी दवाओं पर निर्भरता नहीं रखी, क्योंकि उनके आहार में बथुआ जैसे पोषक तत्व शामिल थे। मकान को रंगने से लेकर स्वास्थ्य लाभ तक, बथुआ हर रूप में उपयोगी है।
इसलिए, जब तक मौसम में बथुआ मिलता रहे, इसे अपने आहार में जरूर शामिल करें और इसके फायदों का लाभ उठाएँ।
