परिषदीय विद्यालयों की अर्द्धवार्षिक परीक्षा: लापरवाही से भरी समय सारिणी पर विवाद

# **परिषदीय विद्यालयों की अर्द्धवार्षिक परीक्षा: लापरवाही से भरी समय सारिणी पर विवाद** 

**लखनऊ।** परिषदीय विद्यालयों को **”निपुण”** बनाने की दिशा में काम कर रहे बेसिक शिक्षा विभाग की अर्द्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी ने शिक्षकों और छात्रों को असमंजस में डाल दिया है। हाल ही में जारी परीक्षा की समय सारिणी में **कक्षा छह में हिंदी** और **कक्षा आठ में विज्ञान** जैसे महत्वपूर्ण विषयों का उल्लेख नहीं किया गया है। यह चूक न केवल छात्रों और शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बनी है, बल्कि सोशल मीडिया पर विभाग के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है। 



## **परीक्षा का समय और प्रक्रिया** 
**बेसिक शिक्षा विभाग** ने परिषदीय विद्यालयों की अर्द्धवार्षिक परीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि यह परीक्षा **23 से 28 दिसंबर 2024** के बीच **दो पालियों** में आयोजित की जाएगी। 
– **कक्षा 1:** केवल मौखिक परीक्षा। 
**कक्षा 2-3:** लिखित और मौखिक दोनों परीक्षाएं (50-50 प्रतिशत का वेटेज)। 
– **कक्षा 4-5:** लिखित और मौखिक दोनों परीक्षाएं (70-30 प्रतिशत का वेटेज)। 
– **कक्षा 6-8:** पूरी तरह से लिखित परीक्षा। 

परीक्षा की अवधि **ढाई घंटे** तय की गई है। मौखिक परीक्षा के लिए समय प्रधानाध्यापक के विवेक पर छोड़ा गया है। **मूल्यांकन कार्य** परीक्षा के साथ ही जारी रहेगा, और परीक्षाफल 30 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। 



## **समय सारिणी में हिंदी और विज्ञान की परीक्षा का उल्लेख नहीं** 
जारी समय सारिणी में **कक्षा छह की हिंदी** और **कक्षा आठ की विज्ञान** विषय की परीक्षा का कोई उल्लेख नहीं है। 
– इस लापरवाही ने छात्रों और शिक्षकों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। 
**सोशल मीडिया** पर यह समय सारिणी वायरल हो रही है, और लोगों ने बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई है। 

**एक शिक्षक ने टिप्पणी की,** *”जब विभाग हिंदी और विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों की परीक्षा का ध्यान नहीं रख पा रहा, तो छात्रों की शिक्षा का स्तर कैसे सुधरेगा?”*



## **शिक्षकों और छात्रों की प्रतिक्रिया** 
शिक्षक और छात्र दोनों इस समय सारिणी से असंतुष्ट हैं। 
– **उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ** के जिला उपाध्यक्ष ज्ञानेंद्र ओझा ने इसे विभाग की बड़ी चूक बताते हुए कहा, 
  *”हर साल परीक्षाओं की तैयारी अधूरी रहती है। इस तरह की लापरवाहियों से शिक्षकों को दोषी ठहराया जाता है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी बच निकलते हैं।”* 



## **सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस** 
सोशल मीडिया पर लोग विभाग की इस लापरवाही को लेकर आलोचना कर रहे हैं। 
– कई लोगों ने सवाल उठाए हैं कि जब विभाग **मातृभाषा हिंदी और विज्ञान** जैसे विषयों की परीक्षा कराना ही भूल गया है, तो उसके अन्य कार्यों पर कैसे भरोसा किया जा सकता है। 
– विभाग द्वारा समय सारिणी को **संशोधित करने या वापस लेने** की कोई सूचना देर रात तक नहीं आई थी। 



## **हर साल दोहराई जाती हैं ऐसी गलतियां** 
बेसिक शिक्षा विभाग की परीक्षाओं में लापरवाही कोई नई बात नहीं है। 
– हर साल अधूरी तैयारियों और खराब समय प्रबंधन के साथ परीक्षाएं कराई जाती हैं। 
– इससे छात्रों और शिक्षकों का मनोबल प्रभावित होता है और शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं। 



## **निष्कर्ष** 
**बेसिक शिक्षा विभाग** की यह चूक न केवल लापरवाही का प्रतीक है, बल्कि यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है। हिंदी और विज्ञान जैसे विषयों का समय सारिणी में उल्लेख न होना, शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। विभाग को जल्द से जल्द इस मुद्दे को सुलझाते हुए संशोधित समय सारिणी जारी करनी चाहिए, ताकि छात्रों और शिक्षकों के बीच व्याप्त भ्रम को दूर किया जा सके। 



**लेखक का सुझाव:** 
शिक्षा विभाग को परीक्षा की तैयारियों के लिए एक प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया अपनानी चाहिए, ताकि ऐसी लापरवाहियां भविष्य में न दोहराई जाएं।

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