### **50 हजार संविदा कर्मियों पर नौकरी का संकट: निजीकरण से बढ़ी बेरोजगारी की आशंका**
**लखनऊ।** उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन में निविदा और संविदा कर्मचारियों के लिए हालात चिंताजनक हो गए हैं। **पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण** से लगभग **50 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों** की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। वहीं, मध्यांचल और पश्चिमांचल निगमों में **कर्मचारियों की छंटनी** की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह स्थिति हजारों परिवारों के सामने **भरण-पोषण का संकट** खड़ा कर रही है।
### **संविदा कर्मचारियों की बढ़ती चिंताएं**
**संविदा कर्मचारी संघ** के महामंत्री **देवेंद्र कुमार पांडेय** ने बताया कि **पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम, वाराणसी** और **दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम, आगरा** को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय न केवल कर्मचारियों के लिए संकट पैदा करेगा, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी महंगी बिजली का खतरा बढ़ाएगा।
– लगभग **50 हजार बिजली आउटसोर्स कर्मचारी**, जो पिछले 10 वर्षों से अल्प वेतन पर काम कर रहे हैं, बेरोजगार हो सकते हैं।
– निजीकरण से उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का सामना करना पड़ सकता है।
### **आंदोलन की तैयारी में कर्मचारी संघ**
कर्मचारियों की बेरोजगारी के खतरे को देखते हुए रविवार को **कृष्णानगर में एक सभा** आयोजित की गई।
– इस सभा में प्रबंधन के खिलाफ **आंदोलन की रणनीति** पर चर्चा की गई।
– संघ ने **पावर कॉर्पोरेशन के निजीकरण के फैसले** को गलत ठहराते हुए इसे बिजली उद्योग की स्थिरता के लिए हानिकारक बताया।
– कर्मचारियों ने **सार्थक सुधारों** की मांग की है, ताकि बिजली उद्योग का विकास हो और कर्मचारियों का रोजगार सुरक्षित रहे।
### **निजीकरण का प्रभाव**
संघ का कहना है कि बिजली वितरण निगमों को निजी हाथों में देने से **कर्मचारियों के हितों** के साथ-साथ **उपभोक्ताओं के हित** भी प्रभावित होंगे।
– **बेरोजगारी**: लाखों कर्मचारी, जो बिजली आपूर्ति की रीढ़ हैं, नौकरी से हाथ धो बैठेंगे।
– **महंगी बिजली**: निजीकरण से बिजली दरों में बढ़ोतरी की संभावना है, जिससे उपभोक्ताओं की जेब पर भारी असर पड़ेगा।
– **अस्थिरता**: कर्मचारियों के अनुभव और कार्यक्षमता की अनदेखी से बिजली उद्योग की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है।
### **संघ की अपील और चेतावनी**
संविदा कर्मचारी संघ ने सरकार से **निजीकरण का निर्णय वापस लेने** की मांग की है।
– संघ ने चेतावनी दी है कि यदि कर्मचारियों के हितों को सुरक्षित नहीं किया गया तो **प्रदेशव्यापी आंदोलन** किया जाएगा।
– सरकार से **संविदा कर्मचारियों के रोजगार** को बचाने के लिए **ठोस नीति** बनाने की मांग की गई है।
### **निष्कर्ष**
निजीकरण के फैसले से उत्तर प्रदेश के हजारों परिवारों की आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है। **सरकार और पावर कॉर्पोरेशन** को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। बिजली उद्योग में सुधार और उपभोक्ताओं को किफायती बिजली उपलब्ध कराने के लिए **सार्थक कदम उठाने की आवश्यकता है**, ताकि कर्मचारी और उपभोक्ता दोनों का हित सुरक्षित रह सके।
