### **मोबाइल का बढ़ता इस्तेमाल बच्चों की आंखों के लिए बना खतरा**
**गोरखपुर।** कोरोना महामारी के बाद मोबाइल और अन्य स्क्रीन डिवाइस का अत्यधिक उपयोग बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है। बच्चों में **आंखों की पुतलियों के टेढ़े होने** (स्क्विंट या स्ट्राबिस्मस) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एम्स गोरखपुर के नेत्र रोग विभाग में इस समस्या से पीड़ित बच्चों की संख्या में पांच से सात गुना इजाफा हुआ है। हर दिन **5 से 7 बच्चे** इस समस्या के इलाज के लिए ओपीडी में पहुंच रहे हैं। इनकी उम्र 5 से 12 वर्ष के बीच है।
### **आंखों का सामंजस्य बिगाड़ रहा स्क्रीन टाइम**
नेत्र रोग विशेषज्ञ **डॉ. ऋचा अग्रवाल** के अनुसार, स्क्रीन का अधिक समय तक इस्तेमाल करने से दोनों आंखें ठीक तरह से एक बिंदु पर केंद्रित नहीं हो पातीं। इसके कारण आंखों का सामंजस्य बिगड़ता है, जिससे बच्चों की पुतलियां टेढ़ी हो जाती हैं। इस स्थिति में दोनों आंखें एक साथ कार्य नहीं कर पातीं, जिससे बच्चों को देखने में परेशानी होती है।
### **बच्चे नहीं कर पा रहे आंखों की कसरत**
इस समस्या के समाधान के लिए **आंखों की कसरत** (आई एक्सरसाइज) सिखाई जा रही है, लेकिन छोटे बच्चों के लिए इसे नियमित रूप से करना मुश्किल है। डॉ. ऋचा ने बताया, “ऐसे मामलों में ऑपरेशन ही आखिरी विकल्प बचता है। हाल ही में आठ साल के एक बच्चे का ऑपरेशन किया गया है, जिसकी दोनों आंखें अब सीधी हो गई हैं। हालांकि, उसकी स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है।”
### **स्क्रीन टाइम और स्ट्राबिस्मस का संबंध**
पहले ऐसे मामले सप्ताह में एक या दो आते थे, लेकिन अब यह संख्या **पांच से सात गुना** बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों का **मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट और कंप्यूटर पर अधिक समय बिताना** इसका मुख्य कारण है। स्क्रीन का लगातार इस्तेमाल बच्चों की आंखों पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे यह समस्या पैदा हो रही है।
### **बचाव के लिए स्क्रीन टाइम पर लगाएं लगाम**
नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या से बचने के लिए माता-पिता को सतर्क रहना चाहिए।
– बच्चों के **स्क्रीन टाइम को सीमित** करें।
– हर 20 मिनट के बाद **आंखों को आराम** देने की आदत डालें।
– बच्चों को **आंखों की कसरत** कराएं, जिसमें फोकस और मूवमेंट की गतिविधियां शामिल हों।
– स्क्रीन से उचित दूरी बनाए रखें और स्क्रीन का ब्राइटनेस कम रखें।
### **चिंता का विषय और समाधान की जरूरत**
डॉ. ऋचा ने बताया कि यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि बच्चों के जीवन के प्रारंभिक वर्षों में आंखों की सही कार्यप्रणाली बहुत जरूरी होती है। समय रहते ध्यान न देने पर यह समस्या स्थायी भी हो सकती है। स्क्रीन टाइम कम करने के साथ-साथ बच्चों को बाहरी गतिविधियों और प्राकृतिक रोशनी में खेलने के लिए प्रेरित करना बेहद जरूरी है।
**”मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल बच्चों के लिए नया खतरा बनकर उभरा है। इसका हल केवल जागरूकता और सतर्कता में है। बच्चों की आंखों की सेहत पर ध्यान देना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”**
