### **स्कूलों से गायब शिक्षक: बच्चों के भविष्य पर संकट**
**लखनऊ**। राजधानी के बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की मनमानी और गैरजिम्मेदाराना रवैया शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर रहा है। बिना किसी सूचना के वर्षों तक स्कूल से गायब रहने वाले शिक्षक आरटीई (शिक्षा का अधिकार) अधिनियम की खुलेआम अवहेलना कर रहे हैं। इनकी अनुपस्थिति ने न केवल हजारों बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित किया है, बल्कि विभागीय कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
### **नोटिस पर नोटिस, पर कार्रवाई का अभाव**
स्कूलों से वर्षों तक गायब रहने वाले शिक्षकों को विभाग ने कई बार नोटिस भेजे। परंतु इन शिक्षकों ने किसी नोटिस का जवाब देना तक जरूरी नहीं समझा। **श्वेता वर्मा**, **सुरभि यादव**, और **श्वेता शुक्ला** जैसी शिक्षिकाएं 2018, 2019 और 2023 से स्कूल नहीं आ रही हैं। विभाग इनकी बर्खास्तगी की तैयारी कर रहा है, लेकिन कार्रवाई अब तक अधूरी है।
### **छह वर्षों से लापता शिक्षकों का हाल**
राजधानी के कई शिक्षकों ने छह वर्षों से अधिक समय तक बिना सूचना गायब रहकर शिक्षा प्रणाली का मजाक बनाया। **रेणु सिंह चौधरी**, जो जुलाई 2018 से काकोरी ब्लॉक के गुरुदीनखेड़ा प्राथमिक विद्यालय से लापता थीं, को हाल ही में बर्खास्त किया गया। वहीं, **शबा शफीक अंसारी**, जो 2017 से अनुपस्थित थीं, को बर्खास्त करने की बजाय वेतन देने की सिफारिश तक कर दी गई। यह कदम विभागीय लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है।
### **बेसिक शिक्षा विभाग की उदासीनता**
शिक्षकों की गैरहाजिरी पर रोक लगाने और बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने के बजाय विभाग मात्र नोटिस भेजने तक सीमित रहा। तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारियों ने इन मामलों को बार-बार उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। **बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी)** ने भी समय पर कार्रवाई नहीं की, जिससे शिक्षक मनमानी करते रहे।
### **पांच साल बाद शिक्षकों को मृत मानने का नियम**
बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव **सुरेंद्र तिवारी** ने स्पष्ट किया कि कोई भी सरकारी सेवक यदि पांच साल तक बिना सूचना के गायब रहता है, तो उसे मृत मान लिया जाता है। लेकिन इन शिक्षकों के मामलों में यह नियम भी लागू नहीं किया गया। सुरेंद्र तिवारी ने कहा, “ऐसे शिक्षकों की सेवा तुरंत समाप्त की जानी चाहिए थी। हमने इस संबंध में **बीएसए से रिपोर्ट तलब** की है और सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।”
### **बच्चों की पढ़ाई पर असर**
शिक्षकों की अनुपस्थिति के चलते हजारों बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। राजधानी के कई सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी पहले से ही बनी हुई है। ऐसे में बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। आरटीई अधिनियम का उद्देश्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना था, लेकिन शिक्षकों की गैरहाजिरी और विभाग की लापरवाही ने इस उद्देश्य को विफल कर दिया है।
### **समाप्ति और आगे की राह**
अब समय आ गया है कि **बेसिक शिक्षा परिषद** ऐसे शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई करते हुए बच्चों की पढ़ाई को प्राथमिकता दे। वर्षों से गैरहाजिर शिक्षकों की सेवा तुरंत समाप्त की जाए और समय पर उनके स्थान पर नए शिक्षकों की नियुक्ति हो। बच्चों का भविष्य केवल विभागीय लापरवाही का शिकार न बने।
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