बाल संसद गठन एवं कार्यवाही पंजिका
परिचय:
बाल संसद का उद्देश्य बच्चों में नेतृत्व क्षमता, जिम्मेदारी की भावना, और लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास करना है। यह प्रक्रिया विशेष रूप से स्कूलों में बच्चों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने के लिए प्रारंभ की जाती है। उत्तर प्रदेश के मूल शिक्षा विभाग (Basic Shiksha Vibhag) के अंतर्गत, बाल संसद को छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए एक अनिवार्य पहल माना गया है।
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बाल संसद का गठन
बाल संसद के गठन की प्रक्रिया को व्यवस्थित रूप से निम्नलिखित चरणों में विभाजित किया गया है:
1. बाल संसद गठन के लिए प्राथमिक तैयारी
प्रेरणा और जागरूकता:
बच्चों और शिक्षकों को बाल संसद के महत्व और उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी जाती है।
बच्चों को लोकतंत्र, चुनाव प्रक्रिया और जिम्मेदारियों के बारे में शिक्षित किया जाता है।
कार्यक्रम तय करना:
प्रधानाध्यापक और शिक्षक बाल संसद गठन के लिए समय और तिथि तय करते हैं।
2. चुनाव प्रक्रिया का संचालन
नामांकन प्रक्रिया:
इच्छुक छात्र बाल संसद के विभिन्न पदों जैसे प्रधानमंत्री, उप-प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री, स्वच्छता मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, खेल मंत्री आदि के लिए नामांकन करते हैं।
चुनाव प्रचार:
नामांकित छात्र अपने विचार और नीतियों को सहपाठियों के सामने प्रस्तुत करते हैं।
मतदान:
गुप्त मतदान के माध्यम से सभी छात्र अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं।
मतगणना और परिणाम:
पारदर्शी तरीके से मतगणना की जाती है और विजेताओं की घोषणा की जाती है।
3. पदभार ग्रहण और शपथ ग्रहण समारोह
चयनित प्रतिनिधि शपथ लेते हैं और अपने पदों का दायित्व ग्रहण करते हैं।
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बाल संसद की कार्यवाही पंजिका
बाल संसद की कार्यवाही पंजिका (कार्यवाही रजिस्टर) एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसमें संसद की सभी गतिविधियों का लेखा-जोखा होता है। इसे निम्नलिखित तरीके से तैयार और संधारित किया जाता है:
1. प्रारंभिक जानकारी
स्कूल का नाम और पता।
बाल संसद का गठन तिथि।
पदाधिकारियों के नाम और पद।
2. बैठकों का आयोजन और रिकॉर्डिंग
बैठक का समय और तिथि:
कार्यवाही पंजिका में प्रत्येक बैठक की तिथि और समय दर्ज किया जाता है।
उपस्थित सदस्य:
बैठक में उपस्थित पदाधिकारियों और अन्य छात्रों की सूची तैयार की जाती है।
एजेंडा:
प्रत्येक बैठक के मुख्य बिंदु और चर्चा के विषय लिखे जाते हैं।
जैसे: विद्यालय की स्वच्छता, पौधारोपण, मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता, शिक्षा में सुधार, खेलकूद आयोजन आदि।
निर्णय और कार्यान्वयन:
चर्चा के बाद लिए गए निर्णय और उनके कार्यान्वयन की प्रक्रिया का विवरण दर्ज किया जाता है।
3. कार्यक्रमों का आयोजन और रिपोर्टिंग
बाल संसद के माध्यम से आयोजित गतिविधियों जैसे स्वच्छता अभियान, पुस्तकालय विकास, स्वास्थ्य शिविर आदि का विवरण पंजिका में दर्ज किया जाता है।
4. समीक्षा और सुधार
बाल संसद द्वारा किए गए कार्यों की समय-समय पर समीक्षा की जाती है।
भविष्य की योजनाएं और सुधार के सुझाव पंजिका में लिखे जाते हैं।
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बाल संसद के लाभ
1. नेतृत्व विकास:
बच्चे नेतृत्व कौशल सीखते हैं और जिम्मेदार बनते हैं।
2. लोकतांत्रिक समझ:
बच्चों को लोकतंत्र और चुनाव प्रक्रिया की जानकारी मिलती है।
3. समस्याओं का समाधान:
बाल संसद स्कूल और समुदाय से संबंधित समस्याओं को हल करने का मंच प्रदान करती है।
4. सामाजिक जिम्मेदारी:
बच्चों में समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना विकसित होती है।
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निष्कर्ष
बाल संसद का गठन और उसकी कार्यवाही पंजिका न केवल बच्चों के व्यक्तित्व विकास में सहायक है, बल्कि यह उनके भीतर आत्मविश्वास, अनुशासन, और सामूहिकता की भावना को भी प्रोत्साहित करता है। मूल शिक्षा विभाग द्वारा इसे विद्यालयों में लागू करना बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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