**संविदा और अतिथि शिक्षकों के वेतन मानकीकरण पर केंद्र सरकार का इन्कार**
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने संविदा और अतिथि शिक्षकों के अनुबंध और वेतन के मानकीकरण के लिए राष्ट्रीय ढांचा तैयार करने की किसी भी योजना से इन्कार किया है। यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने सोमवार को लोकसभा में लिखित जवाब के माध्यम से दी।
**लोकसभा में उठा संविदा शिक्षकों का मुद्दा**
कांग्रेस सांसद धर्मवीर गांधी ने सवाल किया था कि क्या सरकार संविदा और अतिथि शिक्षकों के लिए अनुबंध और वेतन के मानकीकरण की कोई नीति बनाने पर विचार कर रही है। उनका तर्क था कि समान काम के लिए समान मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए ऐसा ढांचा आवश्यक है। इस पर केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार के पास इस प्रकार की कोई योजना नहीं है।
**संविदा शिक्षकों की स्थिति का खुलासा**
मंत्री ने उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) 2022-23 के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि देशभर के सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों में 2.43 लाख से अधिक संविदा संकाय सदस्य कार्यरत हैं। इसके अलावा, निजी संस्थानों में 10 हजार से अधिक संविदा संकाय सदस्य अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इन शिक्षकों की नियुक्ति और वेतन का निर्धारण संबंधित संस्थानों द्वारा किया जाता है, और इसमें केंद्र सरकार की कोई सीधी भूमिका नहीं है।
**समान काम के लिए समान वेतन की मांग**
संविदा और अतिथि शिक्षक लंबे समय से समान काम के लिए समान वेतन की मांग कर रहे हैं। इन शिक्षकों का कहना है कि स्थायी शिक्षकों की तरह ही उनके ऊपर भी संस्थान का शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यभार होता है, लेकिन उनके वेतन और भत्तों में भारी असमानता है।
**सरकार का रुख और चुनौतियां**
विशेषज्ञों का मानना है कि संविदा और अतिथि शिक्षकों के लिए एक राष्ट्रीय वेतन मानक लागू करना जटिल प्रक्रिया है। विभिन्न राज्यों और संस्थानों के बीच वित्तीय संसाधनों और प्रशासनिक स्वायत्तता के भिन्न स्तर इसे लागू करने में बड़ी बाधा हैं। हालांकि, शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण सेवा बनाए रखने और शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के लिए इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
**शिक्षकों की नाराजगी और संभावित आंदोलन**
सरकार के इस रुख से संविदा और अतिथि शिक्षकों में नाराजगी बढ़ने की संभावना है। कई शिक्षक संगठन लंबे समय से मानकीकरण और स्थायी नियुक्तियों की मांग को लेकर प्रदर्शन करते रहे हैं। इस नए बयान के बाद शिक्षकों द्वारा बड़े आंदोलन का आह्वान किया जा सकता है।
**निष्कर्ष**
संविदा और अतिथि शिक्षक भारतीय शिक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन उनके वेतन और अनुबंध की असमानता उनके कार्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। सरकार को इन शिक्षकों की समस्याओं को प्राथमिकता देकर समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि शिक्षा क्षेत्र की गुणवत्ता में सुधार हो सके और शिक्षकों का मनोबल बढ़ाया जा सके।
