**यूपीएस: राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का उन्नत विकल्प, अंतिम वेतन का 50% पेंशन गारंटी**
केंद्र सरकार राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) लागू करने की योजना बना रही है। वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार की जा रही गाइडलाइन के अनुसार, यह नई योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। यूपीएस कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट के बाद स्थिर और सुनिश्चित पेंशन का भरोसा प्रदान करेगी। कर्मचारियों के पास 31 मार्च 2024 तक एनपीएस और यूपीएस में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा।
### **यूपीएस और एनपीएस में अंतर**
यूपीएस और एनपीएस के बीच सबसे बड़ा अंतर पेंशन के स्वरूप और फंड के प्रबंधन में है। एनपीएस में कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर उनकी जमा राशि का 60% निकालने का विकल्प मिलता है, जबकि शेष 40% से पेंशन बनाई जाती है। यूपीएस में यह सुविधा समाप्त कर दी गई है। इसके बजाय, फंड की 100% राशि का उपयोग पेंशन के लिए किया जाएगा।
एनपीएस में कर्मचारी और सरकार का कुल योगदान 24% (10% कर्मचारी और 14% सरकार) होता था। यूपीएस में सरकार अपना योगदान बढ़ाकर 18.5% कर रही है। इस तरह, यूपीएस में कुल फंड 28.5% होगा। हालांकि, इसमें से 8.5% पूल फंड में जमा होगा, जिसका उपयोग उस स्थिति में किया जाएगा जब कर्मचारी की पेंशन अंतिम वेतन के 50% से कम हो।
### **फंड प्रबंधन में नए प्रावधान**
यूपीएस कर्मचारियों को अपने फंड के 100% निवेश का विकल्प देगा। हालांकि, इसमें रिटायरमेंट के समय कोई भी एकमुश्त राशि निकालने का प्रावधान नहीं होगा। वहीं, एनपीएस में कर्मचारी 50% तक राशि का निवेश बाजार जोखिम के अनुसार कर सकते थे।
### **पेंशन की गणना और गारंटी**
यूपीएस में पेंशन राशि कर्मचारी के अंतिम मूल वेतन के 50% पर निर्धारित की जाएगी। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी का अंतिम वेतन ₹1,00,000 है, तो उसे ₹50,000 की मासिक पेंशन मिलेगी। यदि एन्युटी पर आधारित पेंशन में कमी होती है, तो पूल फंड का उपयोग उस अंतर को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
एनपीएस में पेंशन राशि का निर्धारण 40% एन्युटी पर आधारित होता है, जो बाजार के रिटर्न पर निर्भर करता है। इस वजह से पेंशन राशि स्थिर नहीं होती थी। यूपीएस इस समस्या का समाधान करते हुए कर्मचारियों को स्थिर पेंशन प्रदान करेगा।
### **ग्रेच्युटी और अन्य लाभ**
यूपीएस और एनपीएस दोनों में कर्मचारियों को ग्रेच्युटी और अवकाश नगदीकरण के लाभ मिलते रहेंगे। यूपीएस में तीन बार नौकरी के दौरान 25% तक निकासी का प्रावधान रहेगा, लेकिन रिटायरमेंट के बाद कोई राशि निकासी नहीं की जा सकेगी।
### **यूपीएस क्यों बेहतर है?**
विशेषज्ञों का मानना है कि यूपीएस पेंशन के मामले में एनपीएस से अधिक लाभकारी है। यह कर्मचारियों को स्थिर और सुनिश्चित पेंशन का भरोसा देता है, जो एनपीएस में बाजार जोखिम के कारण संभव नहीं था। हालांकि, यूपीएस ओपीएस (पुरानी पेंशन योजना) की तरह नहीं है, क्योंकि इसमें फंड पूरी तरह से सरकार द्वारा प्रबंधित नहीं किया जाएगा।
### **निष्कर्ष**
यूपीएस एक संतुलित और उन्नत पेंशन योजना के रूप में उभर रही है, जो रिटायरमेंट के बाद के वित्तीय असुरक्षा को कम करने में मदद करेगी। इसकी गारंटीशुदा पेंशन और सरकार का बढ़ा हुआ योगदान इसे एनपीएस से बेहतर विकल्प बनाता है। हालांकि, इसके तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर एकमुश्त निकासी का विकल्प नहीं मिलेगा, लेकिन स्थिर पेंशन का लाभ इसे एक ठोस कदम बनाता है।
यूपीएस कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो सरकारी पेंशन योजनाओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।
