समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत कम्पोजिट स्कूल ग्रांट (कार्यवाही पंजिका) एक ऐसा दस्तावेज है जो स्कूलों में वित्तीय सहायता के उपयोग और प्रबंधन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए तैयार किया जाता है। इस पंजिका का उद्देश्य स्कूल में उपलब्ध संसाधनों के उपयोग को पारदर्शी और उत्तरदायित्वपूर्ण बनाना है।
कम्पोजिट स्कूल ग्रांट का परिचय:
1. उद्देश्य:
स्कूलों के बुनियादी ढांचे के रखरखाव, मरम्मत और संसाधनों के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
विद्यालय के समग्र विकास और स्वच्छता में सुधार लाना।
2. लाभार्थी:
प्राइमरी (प्राथमिक), अपर प्राइमरी (उच्च प्राथमिक), और सेकेंडरी स्कूल।
3. राशि का निर्धारण:
स्कूलों में छात्रों की संख्या के आधार पर ग्रांट की राशि तय की जाती है।
प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के लिए अलग-अलग स्लैब।
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कार्यवाही पंजिका का स्वरूप और उपयोग:
1. मुख्य भाग:
प्राप्ति का विवरण:
स्कूल को वित्तीय वर्ष में प्राप्त कम्पोजिट ग्रांट का विवरण।
खर्च का विवरण:
ग्रांट से की गई प्रत्येक खर्च की प्रविष्टि, जैसे- मरम्मत, सफाई, उपकरण खरीदना, रंग-रोगन आदि।
स्वीकृति और अनुमोदन:
खर्च करने से पहले संबंधित समिति और प्रधानाचार्य द्वारा अनुमोदन।
2. मुख्य प्रविष्टियाँ:
ग्रांट की तिथि और राशि।
व्यय का विवरण (तिथि, उद्देश्य, राशि)।
अनुमोदन अधिकारी और सदस्यों के हस्ताक्षर।
शेष राशि का लेखा-जोखा।
3. महत्वपूर्ण बिंदु:
सभी व्यय पारदर्शी होने चाहिए।
लेखा-जोखा नियमित रूप से तैयार और अपडेट किया जाए।
समिति के सदस्यों के बीच नियमित समीक्षा बैठक हो।
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पंजिका का रखरखाव:
1. उत्तरदायित्व:
प्रधानाध्यापक और स्कूल प्रबंधन समिति।
2. दस्तावेज़:
ग्रांट की प्राप्ति रसीद।
व्यय की रसीद और बिल।
समीक्षा रिपोर्ट।
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नियमित समीक्षा:
स्थानीय निकायों द्वारा निरीक्षण:
स्कूल में उपयोग की गई ग्रांट की नियमित समीक्षा और निरीक्षण।
रिपोर्टिंग:
ब्लॉक, जिला या राज्य स्तर पर निर्धारित प्रारूप में रिपोर्ट जमा करना।
इस प्रकार, कम्पोजिट स्कूल ग्रांट के अंतर्गत कार्यवाही पंजिका का सही और पारदर्शी रखरखाव विद्यालय के विकास में सहायक होता है।
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