**यूपीआई धोखाधड़ी के मामलों में तेज़ी, डेढ़ साल में 1500 करोड़ की ठगी**
देश में **यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस)** का उपयोग तेजी से बढ़ा है, लेकिन इसके साथ ही इससे जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में भी खतरनाक इजाफा हो रहा है। वित्त मंत्रालय द्वारा संसद में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, पिछले डेढ़ साल में साइबर ठगों ने यूपीआई धोखाधड़ी के जरिए लोगों से लगभग **1500 करोड़ रुपये** की गाढ़ी कमाई लूट ली।
### **27 लाख से ज्यादा मामले दर्ज**
वित्त वर्ष 2022-23 से लेकर अब तक यूपीआई धोखाधड़ी के **27 लाख मामले** दर्ज किए गए हैं, जिनमें पीड़ितों ने **2145 करोड़ रुपये** गंवाए।
– **2022-23 में** ठगों ने **1087 करोड़ रुपये** ठगे।
– **2023-24 में** इन मामलों में **85% की वृद्धि** दर्ज की गई। इस दौरान जालसाजों ने **573 करोड़ रुपये** ठगे।
– **2024-25 (सितंबर तक)** ठगों ने **485 करोड़ रुपये** की धोखाधड़ी की।
### **कौन से राज्य हैं सबसे अधिक प्रभावित?**
यूपीआई धोखाधड़ी के मामलों में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं:
– **तमिलनाडु:** 663 करोड़ रुपये की ठगी।
– **महाराष्ट्र:** 391 करोड़ रुपये की ठगी।
– **कर्नाटक:** 243 करोड़ रुपये की ठगी।
### **यूपीआई लेनदेन में तेज़ी से बढ़ोतरी**
यूपीआई लेनदेन की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है:
– **2022-23:** 8,371 करोड़ लेनदेन।
– **2023-24:** 13,113 करोड़ लेनदेन।
– **अप्रैल 2024 से अब तक:** 8,566 करोड़ लेनदेन।
### **सरकार की तैयारी और कदम**
सरकार ने यूपीआई धोखाधड़ी को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं:
1. **केंद्रीय भुगतान धोखाधड़ी सूचना रजिस्ट्री (CFFIR):**
इसे आरबीआई ने एआई-आधारित टूल की मदद से डिज़ाइन किया है, जो धोखाधड़ी का तुरंत पता लगा सकता है।
2. **शिकायत पोर्टल:**
– **राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल:** [cybercrime.gov.in](https://cybercrime.gov.in)
– **नेशनल साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर:** 1930
### **कैसे रहें सुरक्षित?**
यूपीआई धोखाधड़ी से बचने के लिए इन सुझावों का पालन करें:
– किसी संदिग्ध ईमेल, लिंक, वेबसाइट या फोन कॉल से दूर रहें।
– किसी भी यूपीआई लिंक पर क्लिक करने से पहले सावधानी बरतें।
– भुगतान के लिए क्यूआर कोड स्कैन करने से पहले सुनिश्चित करें कि वह सही और प्रामाणिक है।
– अज्ञात पॉपअप या एप्लिकेशन डाउनलोड करने से बचें।
### **ठगी का आंकड़ा और उसकी तुलना**
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि ठगी की यह रकम कई महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं के बजट से भी अधिक है। उदाहरण के लिए:
– **वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम:** 1050 करोड़ रुपये।
– **राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन:** 1150 करोड़ रुपये।
– **राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान:** 1064 करोड़ रुपये।
– **नई आईआईटी उन्नयन योजना:** 1000 करोड़ रुपये।
### **निष्कर्ष**
यूपीआई ने जहां डिजिटल भुगतान को आसान और सुविधाजनक बनाया है, वहीं धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों ने इसके दुरुपयोग की समस्या को उजागर किया है। सरकार और आरबीआई की ओर से उठाए जा रहे कदम महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जनता को भी सतर्क रहने और डिजिटल सुरक्षा उपायों का पालन करने की आवश्यकता है।
