शिक्षकों के उपयोग के लिए बनाए गए विभागीय एप्स का मर्जर संभव नहीं: रोहित त्रिपाठी

**शिक्षकों के उपयोग के लिए बनाए गए विभागीय एप्स का मर्जर संभव नहीं: रोहित त्रिपाठी** 

**शिक्षकों की सुविधा के लिए बने हैं एप्स** 
बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की ओर से उपयोग किए जाने वाले विभागीय एप्स का समायोजन एक चुनौती बना हुआ है। अपर राज्य परियोजना निदेशक रोहित त्रिपाठी ने *अमर उजाला* से बातचीत में बताया कि विभिन्न एप्स शिक्षकों की सुविधा के लिए बनाए गए हैं। ये एप्स न केवल उनका समय बचाते हैं, बल्कि उन्हें विभागीय कार्यों के लिए कार्यालय के चक्कर लगाने से भी बचाते हैं। 

**रोज उपयोग के लिए हैं सीमित एप्स** 
रोहित त्रिपाठी के अनुसार, शिक्षकों को रोजाना केवल तीन-चार एप्स का ही उपयोग करना होता है। इनमें *प्रेरणा*, *मानव संपदा*, और *डीबीटी* एप शामिल हैं। बाकी एप्स का इस्तेमाल साल में एक या दो बार ही होता है। मर्जर न होने की सबसे बड़ी वजह यह है कि इन एप्स को अलग-अलग संस्थाओं ने विकसित किया है। उदाहरण के लिए: 
– *मानव संपदा* एप को एनआईसी ने विकसित किया है। 
– *प्रेरणा* एप यूपी डेस्को द्वारा बनाया गया है। 
– *दीक्षा* एप केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है। 

**शिक्षकों ने रखी थी मर्जर की मांग** 
गत 25 अक्टूबर को *अमर उजाला* कार्यालय में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में बेसिक शिक्षकों ने विभागीय एप्स के मुद्दे को उठाया था। शिक्षकों ने बताया कि वे अपने निजी मोबाइल में विभागीय कामकाज के लिए एक दर्जन से अधिक एप्स का इस्तेमाल करते हैं। इससे न केवल उनके मोबाइल पर दबाव बढ़ता है, बल्कि कभी-कभी मोबाइल हैंग होने की समस्या भी उत्पन्न होती है। शिक्षकों ने कहा कि वे व्यवस्था का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन इसमें सरलता और एकीकरण की आवश्यकता है। 

**प्रमुख एप्स और उनके कार्य** 
विभागीय एप्स और उनके उपयोग निम्नलिखित हैं: 
1. **रीड एलॉग:** हिंदी और अंग्रेजी भाषा विकास के लिए। 
2. **निपुण:** कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों का शैक्षिक आकलन। 
3. **प्रेरणा:** निःशुल्क सामग्री के बजट भेजने का काम। 
4. **पीएफएमएस:** विद्यालय विकास राशि का प्रबंधन। 
5. **दीक्षा:** शिक्षकों की ट्रेनिंग और पढ़ाने की सामग्री। 
6. **समर्थ:** दिव्यांग छात्रों की उपस्थिति और ट्रैकिंग। 
7. **प्रेरणा यूपी डॉट इन:** विद्यालय और छात्रों का डाटा। 
8. **एनआईएलपी:** निरक्षर व्यक्तियों की पहचान। 
9. **शारदा:** ड्रॉपआउट बच्चों के नामांकन के लिए। 
10. **संपर्क स्मार्ट:** भाषा के विकास के लिए। 
11. **एम स्थापना:** अवकाश और वेतन प्रबंधन। 

**एप्स ने किया काम आसान, लेकिन समस्याएं बरकरार** 
विभागीय कार्यों को तकनीकी रूप से आसान बनाने के लिए बनाए गए एप्स शिक्षकों के लिए मददगार साबित हुए हैं। हालांकि, इनका एक साथ मर्जर तकनीकी कारणों से फिलहाल संभव नहीं है। रोहित त्रिपाठी ने कहा कि एप्स का उपयोग करने से थोड़ी मोबाइल स्पेस की आवश्यकता तो होती है, लेकिन शिक्षकों को पहले ही टैबलेट वितरित किए जा चुके हैं ताकि वे बिना रुकावट काम कर सकें। 

**निष्कर्ष** 
एप्स के उपयोग ने शिक्षकों के विभागीय कार्यों को सुगम बनाया है, लेकिन इनके प्रभावी उपयोग के लिए अधिक संसाधन और सरलता सुनिश्चित करना आवश्यक है। शिक्षकों की मांग पर ध्यान देकर विभाग को एप्स के इंटीग्रेशन के लिए कदम उठाने चाहिए, ताकि उनका अनुभव और भी बेहतर हो सके। 

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