**बरेली: परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को स्वेटर पहनने की सख्त हिदायत**
**बरेली, 21 नवंबर।** ठंड के बढ़ते प्रभाव के बीच बरेली के परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के बिना स्वेटर स्कूल आने की स्थिति को गंभीरता से लिया गया है। बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) संजय सिंह ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि यदि ठंड से किसी बच्चे की तबीयत बिगड़ती है, तो संबंधित प्रधानाध्यापक और शिक्षकों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
### **कॉन्वेंट स्कूलों के बच्चे तैयार, पर परिषदीय विद्यालयों में कमी**
जहां कान्वेंट स्कूलों के बच्चे स्वेटर और ब्लेजर पहनकर स्कूल जा रहे हैं, वहीं परिषदीय विद्यालयों के अधिकतर बच्चे अब भी बिना स्वेटर स्कूल पहुंच रहे हैं। यह स्थिति तब है जब बच्चों के अभिभावकों के बैंक खातों में अक्टूबर 2024 में सरकार द्वारा 1200 रुपये भेजे जा चुके हैं। इस राशि से बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस, स्वेटर, जूते-मोजे और बैग जैसे आवश्यक सामान खरीदने का प्रावधान है।
### **बीएसए का निर्देश और उपाय**
20 नवंबर को बीएसए संजय सिंह ने जिले के सभी खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) और प्रधानाध्यापकों को पत्र जारी कर इस स्थिति में सुधार लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा:
1. **अभिभावकों की बैठक:** विद्यालय प्रबंध समिति और अभिभावक-अध्यापक बैठक में अभिभावकों को स्वेटर खरीदने और बच्चों को पहनाने के लिए प्रेरित करें।
2. **घरों पर जाकर संपर्क:** शिक्षक सुबह स्कूल खुलने से पहले या छुट्टी के बाद बच्चों के घर जाकर अभिभावकों से संपर्क करें।
3. **स्थानीय सहयोग:** लेखपाल, पंचायत सचिव, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, ग्राम प्रधान और स्थानीय प्रभावशाली व्यक्तियों का सहयोग लें।
4. **ठंड से सुरक्षा:** यह सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा बिना स्वेटर के स्कूल न आए।
### **2.77 लाख बच्चों पर जिम्मेदारी**
बरेली जिले के 2483 परिषदीय विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 तक के करीब 2.77 लाख बच्चे अध्ययनरत हैं। बीएसए ने स्पष्ट किया कि अभिभावकों को भेजी गई राशि का उपयोग बच्चों की सुरक्षा और जरूरतों के लिए होना चाहिए।
### **ठंड का असर बढ़ा**
कोहरे और सर्द हवाओं के कारण ठंड ने तेजी से दस्तक दी है। यदि समय रहते स्वेटर जैसी जरूरी चीजें बच्चों को उपलब्ध नहीं कराई गईं, तो यह उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
**निष्कर्ष:**
बीएसए का यह कदम बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच समन्वय से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। अब देखना यह है कि इन निर्देशों का पालन कितनी तत्परता से किया जाता है।