नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कोचिंग संस्थानों के भ्रामक विज्ञापनों पर नियंत्रण के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनके तहत कोचिंग संस्थान अब 100 प्रतिशत चयन या नौकरी की गारंटी जैसे झूठे दावे नहीं कर पाएंगे। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) द्वारा तैयार किए गए इन दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कोचिंग संस्थानों को अपनी विज्ञापन नीतियों में पारदर्शिता बरतनी होगी और महत्वपूर्ण जानकारी, जैसे प्रस्तावित पाठ्यक्रमों की अवधि, अध्यापकों की जानकारी, शुल्क संरचना, चयन दर, रैंक, और शुल्क वापसी नीति का स्पष्ट विवरण देना होगा।
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोचिंग संस्थान अब बिना सफल अभ्यर्थियों की सहमति के उनके नाम, तस्वीर, या प्रशंसात्मक टिप्पणी का उपयोग नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा, उन्हें विज्ञापनों में डिस्क्लेमर का स्पष्ट उल्लेख करना होगा। उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा कि सरकार कोचिंग संस्थानों के खिलाफ नहीं है, लेकिन उनके भ्रामक विज्ञापनों से उपभोक्ता अधिकारों को नुकसान न पहुंचे, इसे सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है।
दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोचिंग को अकादमिक सहायता, शिक्षा, मार्गदर्शन, अध्ययन कार्यक्रम और ट्यूशन के रूप में परिभाषित किया गया है, जबकि परामर्श, खेल और रचनात्मक गतिविधियों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।